अंतरराष्ट्रीय संवर्द्धन सम्मिश्र के मुख्य तत्व / घटक - Key Elements/Components of the International Promotion Complex

अंतरराष्ट्रीय संवर्द्धन सम्मिश्र के मुख्य तत्व / घटक - Key Elements/Components of the International Promotion Complex


(क) विज्ञापन


विज्ञापन सामूहिक- संचार के लिए प्रयोग होने वाला मुख्य तरीका है। विज्ञापन का तात्पर्य परिचित प्रायोजक द्वारा विचारों, वस्तुओं व सेवाओं के अवैयक्तिक प्रस्तुतिकरण और प्रवर्तन करने के ढंग से है, जिसके लिए प्रायोजक को किसी लोक मीडिया की मदद लेनी पड़ती हैं. और इसके लिये प्रायोजक मीडिया को भुगतान करता है। यहां सामूहिक संचार का अर्थ है कि, विज्ञापन में लोक मीडिया, जैसे- टेलीविजन, रेडियो, समाचार-पत्र, पत्र-पत्रिकाएं, यातायात के वाहनों पर प्रदर्शन, बाहा प्रदर्शन इंटरनेट आदि का इस्तेमाल किया जाता हैं। विज्ञापन के द्वारा एक ही समय में लाखों लोगों को संदेश दिया जा सकता है गैर-वैयक्तिक संचार का अर्थ है कि इसमें प्रेपक और प्राप्तकर्ता के मध्य कोई प्रत्यक्ष वार्तालाप नही होता। लक्षित श्रोता के साथ प्रत्यक्ष संपर्क न होने के कारण प्रेपक को संदेश भेजने पर श्रोता की प्रतिक्रिया की तुरंत जानकारी नहीं मिलती परिचित-प्रायोजक का अर्थ है

कि विज्ञापन किसी संस्था / संगठन द्वारा करवाया जा रहा है संस्था का विज्ञापन पर विज्ञापन में दिए जाने वाले संदेश पर संदेश के माध्यम पर नियंत्रण होता है। जबकि पब्लिसिटी की दशा में यह कार्य कोई बाहरी व्यक्ति भी करवा सकता है और वह कंपनी के नियंत्रण से बाहर भी हो सकता है।


विज्ञापन लोक संचार का एक बहुत ही अच्छा तरीका है। इसके द्वारा एक ही समय पर हजारों-लाखों श्रोताओं / दर्शकों को संदेश दिया जा सकता है अतः इसमें प्रति श्रोता संचार लागत कम होती है। विज्ञापन द्वारा दिया गया संदेश मीडिया में दोहराया भी जाता है विज्ञापन बांड पहचान व ब्रांड प्रसिद्धि को बढ़ती में बहुत सहायक है। हालांकि विज्ञापन के विक्रय पर प्रभाव को मापना कठिन है इसके बावजूद भी विज्ञापन सामूहिक संचार का एक बहुत ही अच्छा तरीका है।


अंतरराष्ट्रीय विपणन में भाषा, संस्कृति, नीति-व्यवस्था में भिन्नता पायी जाती है।

अतः एक जैसे विज्ञापन संदेश को विश्वस्तर पर नहीं दिया जा सकता। इसके अलावा पालिसेंट्रिक दृष्टिकोण में जहाँ वैश्विक कंपनी विभिन्न देशों के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार के उत्पाद बनाती है, वहाँ सभी देशों में एक ही तरह का विज्ञापन संदेश प्रभावकारी नही होगा। यदि उत्पादक देश की उसके उत्पाद के लिए बहुत अच्छी छवि है तो विज्ञापन संदेश में इस तथ्य पर अवश्य ही विशेष रोशनी डाली जानी चाहिए, जैसे स्टाइल वाले उत्पादों के लिए इटली व फास की छवि बहुत ही अच्छी है। इसी प्रकार इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के लिए जापान की छवि बहुत अच्छी है अतः इन देशों में बने ऐसे उत्पादों के विज्ञापन में इस तथ्य पर अवश्य ही जोर डाला जाना चाहिए। वैश्विक उत्पादकों को विभिन्न देशों की स्थानीय विज्ञापन एजेंसियों की सहायता ही विज्ञापन कार्यक्रम चलाने चाहिए क्योंकि ये स्थानीय एजेंसियों अपने-अपने देश की संस्कृति, पसंद, प्राथमिकताओं, दृष्टिकोण से भली-भाँति परिचित होती है।


(ख) वैयक्तिक विकय


यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें विकयकर्ता भावी व वर्तमान ग्राहकों से प्रत्यक्ष रूप से संपर्क करके उन्हें उत्पाद के बारे में जानकारी देता है.

व उत्पाद को खरीदने के लिए राजी करता है फिलिप कोटलर के अनुसार, वैयक्तिक विक्रय में किसी कंपनी के विकयकर्ता उत्पाद को बेचने के लिये व ग्राहक के साथ अच्छे संबंध स्थापित करने के लिए सम्भावित केताओं से व्यक्तिगत संपर्क स्थापित करते है। इसमें विकयकर्ता संभावित ग्राहकों के समक्ष जाकर उत्पाद को प्रस्तुत करते है। संचार के इस प्रारूप में विक्रयकर्ता श्रोताओं की प्रतिक्रिया को तुरंत जान सकता है यदि श्रोता सकारात्मक प्रतिकिया नहीं दिखा रहा, या उसे उत्पाद के बारे में कुछ शंकायें हैं, तो विकयकर्ता उसे उत्पाद के बारे में विस्तृत जानकारी देकर उसकी शकाओं को दूर करने का प्रयास करता है, व उसे उत्पाद खरीदने के लिये राजी करता है। आत्तोगिक वस्तुओं तकनीकी वस्तुओं व विशिष्ट वस्तुओं की दशा में वैयक्तिक- संचार बहुत ही प्रभावकारी है। तकनीकी व औद्योगिक वस्तुओं को बेचने के लिये संभावित ग्राहकों को उत्पाद की तकनीकी विशेषताओं के बारे में समझना पड़ता है व उत्पाद के बारे में उनकी शकाओं को दूर करना पड़ता है। वैयक्तिक संचार उस दशा में भी बहुत प्रभावकारी है वहाँ उन विशेषज्ञों के साथ वैयक्तिक संचार बहुत प्रभावकारी है जिनकी सलाह पर उत्पाद कय किया जाता है।


प्रत्येक संभावित उपभोक्ता से संपर्क स्थापित करना बहुत ही खर्चीला व अधिक समय लेने वाला है। इसके बावजूद भी यह विपणन संचार की एक अच्छी विधि मानी जाती है, क्योंकि इसमें श्रोता की प्रतिक्रिया को तुरंत जाना जा सकता है और संदेश को समायोजित करके तुरंत पुनः प्रस्तुत किया जा सकता है और श्रोताओं की उत्पाद के बारे में शकाओं को दूर किया जा सकता है प्रभावकारी वैयक्तिक विकय कार्यक्रम चलाने के लिए वैश्विक कंपनियों को स्थानीय विकयकर्ताओं को भी नियुक्त करना चाहिए क्योंकि वे स्थानीय भौगोलिक स्थानों, रास्तों, रीति-रिवाजों, भाषा विकय शैली, केताओं की पसंद व प्राथमिकताओं को भली-भांति जानते हैं।


(ग) पब्लिसिटी व जन-संबंध


पब्लिसिटी संचार का गैर-वैयक्तिक तरीका है. जिसके लिये प्राय कंपनी को भुगतान नहीं करना पड़ता। यह प्राय संगठन के बारे में नयी ब्रांच, नये उत्पाद, उच्च अधिकारियों के हस्तांतरण या परिवर्तन उपभोक्ताओं द्वारा लिखे प्रशंसा पत्र,

कंपनी द्वारा किये गये आयोजनों आदि के बारे में हो सकता है। इसका प्रेपण समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं, रेडियो टेलीविजन आदि के खबर के रूप में या एक लेख के रूप में हो सकता है। प्रायः संगठन को इसके लिए भुगतान नही करना पड़ता। परंतु इसे पूर्ण रूप से मुफ्त नहीं मानना चाहिए। विपणन प्रबंधक को कंपनी के बारे में या इसके द्वारा बनाये गये उत्पाद इसके द्वारा आयोजित कार्यकर्मा के बारे में खबर लेख लिखवाने पड़ते हैं, प्रिन्ट करवाना पड़ता है, और मीडिया को यह खबर लेख प्रकाशित करवाने के लिए राजी करवाना पड़ता है जो कंपनियाँ पब्लिसिटी के द्वारा संचार करवाती हैं वे प्रायः संगठन में जन संपर्क विभाग की स्थापना करती है, विशिष्ट कर्मचारियों को नियुक्त किया जाता है या कंपनी किसी बाहरी जन संपर्क फर्म या विज्ञापन एजेंसी की सेवायें लेती है। सचार के अन्य घटकों की तुलना में पब्लिसिटी अधिक विश्वसनीय व कम खर्चीली है पब्लिसिटी में दिया गया संदेश अधिक विश्वसनीय होता है व इससे कंपनी व इसके उत्पाद की छवि में सुधार होता है।


पब्लिसिटी हमेशा फर्म के नियंत्रण में नहीं होती। पब्लिसिटी का प्रभाव नकारात्मक भी हो सकता है

फर्म के बारे में छापी गयी बुरी खबर फर्म के लिये बहुत घातक भी सिद्ध हो सकती है। उदाहरण के तौर पर पेप्सी व कोक सॉफ्ट ड्रिंक में पेस्टीसाइड के निर्धारित मात्रा से अधिक होने की खबर ने इनकी बिक्री व छवि को बहुत बुरी तरह प्रभावित किया। यद्यपि बाद में कंपनी के उच्च अधिकारियों ने यह स्पष्ट किया कि यह खबर झूठी, गलत, निराधार है, तथापि सामान्य जनता का इन सॉफ्ट ड्रिंक्स में विश्वास कम हो गया है। इसके अतिरिक्त विपणनकर्ता का पब्लिसिटी के समय व इसके तत्वों पर भी पूरी तरह नियंत्रण नहीं होता। इन सब कमियों के बावजूद सुनियोजित पब्लिसिटी संचार का एक प्रभावकारी घटक है।


जन-संबंध से अभिप्राय उन क्रियाओं से है जो कंपनी समाज के विभिन्न समूहों से अच्छे संबंध बनाने के लिये करती है। उपभोक्ताओ, कर्मचारियों पूर्तिकताओं,

अशधारियों, समाज व साधारण जनता के साथ कंपनी के संबंधों को जन-संबंध कड़ा जाता है। जन संबंध का उद्देश्य समाज के विभिन्न वर्गों के साथ कंपनी के अच्छे संबंध स्थापित करना है। इसके लिए कपनी अपने संगठन में जन संपर्क विभाग की स्थापना करती है। इस विभाग में जन-संबंध कला में निपुण व्यक्तियों को नियुक्त किया जाता है। समाज में कंपनी की छवि को सुधारने के लिये कंपनी विभिन्न सामाजिक कियाए करती है. जैसे सामाजिक घटनाओं के लिए राशि इकट्ठी करना चैरिटेबल संस्थाओं के लिये चंदा इकट्ठा करना, सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन करना, अंशधारियों, उपभोक्ताओं, पूर्तिकर्ताओं, कर्मचारियों के साथ अच्छे संपर्क बनाये रखने के लिये इनके साथ सामूहिक पार्टियों, कार्यक्रमों का आयोजन करना, स्कूल, कॉलेज के छात्र-छात्राओं को छात्रवृति देना. वृक्षारोपण करना विकलागों, विधवाओं, अनाथ बच्चों के लिये आश्रम बनवाना अस्पताल बनवाना, शिक्षण संस्थान बनवाना आदि। इन सामाजिक क्रियाओ से उत्पाद व संगठन की लोक छवि में सुधार आता है।


(घ) विक्रय संवर्धन


उत्पाद व बिकी को बढ़ती के लिये अल्पकालीन उत्प्रेरकों को विकय संवर्द्धन कहा जाता है। विकय संवर्द्धन ऐसा प्रत्यक्ष प्रोत्साहन है, जिसके अंतर्गत ग्राहकों, मध्यस्थों को पहले वाली कीमत में अधिक मूल्य का सामान दिया जाता है। यह कंपनी द्वारा प्राय अनियमित रूप से दिया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य संस्था के विक्रय में तुरंत वृद्धि करना है। अमेरिकन मार्केटिंग एसोसिएशन के अनुसार विकय संवर्द्धन में वैयक्तिक विकय विज्ञापन पब्लिसिटी के अतिरिक्त वे सभी क्रियाएं आती है. जो उपभोक्ता को शीघ्र कय करने के लिए प्रेरित करती है जैसे-सजावट, तमाशे, नुमाइशे प्रदर्शन तथा विभिन्न अनियमित विकय प्रयत्न जो साधारणतया नहीं किये जाते हैं। इसमें कूपन, मुफ्त नमूने, मुफ्त उपहार, छूट, प्रतियोगिताएं ट्रेड शो, व्यापारिक मेले, व्यापारिक प्रीमियम, विज्ञापन सामग्री का प्रदर्शन, धन वापसी प्रस्ताव मुफ्त विकय उपरांत सेवाएं निःशुल्क प्रशिक्षण विकय प्रतियोगिताएं आदि शामिल है। विकय सवर्द्धन अल्पकाल में विकय बढ़ती काफी प्रभावकारी है। इससे उपभोक्ताओं, विकयकताओं, वितरकों आदि को उत्पाद खरीदने के लिये प्रोत्साहन मिलता है विकय संवर्द्धन तीन प्रकार का हो सकता है।


(i) उपभोक्ताओं के लिए विकय संवर्द्धन उपभोक्ता के लिए विकय सवर्द्धन अंतर्गत विक्रय-संवर्द्धन की वे समस्त विधिया सम्मिलित है जो प्रत्यक्ष रूप से उपभोक्ता से संबंधित है इसके अंतर्गत अन्तिम उपभोक्ता को कम करने के लिये प्रोत्साहन दिया जाता है। इसमें छूट धन-सामग्री प्रदर्शन, कूपन, मुफ्त नमूने, मुफ्त उपहार, गेम्ज़ कीमत में छूट उपभोक्ता प्रतियोगिताएं लवकी ड्रा विकय उपरांत मुफ्त सेवायें, कम ब्याज पर या जीरो प्रतिशत ब्याज पर ऋण की उपलब्धता, निःशुल्क प्रशिक्षण आदि शामिल है। उपभोक्ता को उसी कीमत में उत्पाद की अधिक मात्रा दी जाती है, या कम कीमत में उत्पाद की वही मात्रा दी जाती है। उदाहरण के लिये कोलगेट टूथपेस्ट खरीदने पर एक टूथब्रश मुफ्त।


(ii) मध्यस्थों के लिए विकय-संवर्द्धन विकय संवर्द्धन परियोजनाएं विपणन - मध्यस्थों, जैसे-फुटकर विक्रेताओं, थोक विक्रेताओं के लिये भी चलाई जाती है।


इसमें मध्यस्थों का अधिक मात्रा में उत्पाद खरीदने के लिये जल्दी उत्पाद खरीदने के लिए, कंपनी द्वारा बनाये गये उत्पाद को अपने शो रूम मे बेहतर ढंग से प्रदर्शित करने के लिए तथा बिक्री को बढ़ाने के लिए प्रेरित किया जाता है। इसमें शामिल योजनायें इस प्रकार हैं कय छूट, विक्रय प्रतियोगिताएँ, माल को स्टोर करने के लिए वित्तीय सहायता मुफ्त उपहार बिल के भुगतान में अधिक समय देना, अधिक बिक्री पर कमीशन की दर को बढ़ाना, कूपन, पोस्टर्स, सामान स्टोर करने के शेल्फ विकय साहित्य उपलब्ध करवाना मुफ्त प्रशिक्षण, मुफ्त यात्राए आदि।


(iii) अपने कर्मचारियों के लिए विकय संवर्द्धन ये योजनाएं कंपनी अपने विकयकर्ताओं के लिए चलाती है। इन योजनाओं के अंतर्गत विकयकर्ताओं को नये ग्राहक ढूंढने के लिये नये उत्पाद बेचने के लिये विकय बढ़ाने के लिये ग्राहकों से ठीक तरीके से बात करने के लिए प्रेरित किया जाता हैं।

इसमें शामिल तरीके इस प्रकार है बोनस उपहार कमीशन की ऊंची दरं नौकरी में तरक्की, मुफ्त यात्राएं आदि। अतः इन योजनाओं के अंतर्गत विकय कर्मचारियों को विभिन्न वित्तीय व गैर-वित्तीय उत्प्रेरक दिये जाते हैं, जिससे उन्हें विकय बढ़ती के लिए प्रोत्साहन मिले।


(ड़) प्रत्यक्ष विपणन


आज से कुछ वर्ष पूर्व प्रत्यक्ष विपणन को संचार सम्मिश्र को एक अलग तत्व नहीं माना जाता था परंतु आजकल इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में तेजी से विकास होने के कारण प्रत्यक्ष विपणन संचार सम्मिश्र को एक तत्व माना जाने लगा है। प्रत्यक्ष विपणन के अंतर्गत कंपनी लक्षित श्रोताओं / संभावित ग्राहकों से प्रत्यक्ष संचार करती है, ताकि उनकी उत्पाद के बारे में तुरंत प्रतिक्रिया जानी जा सके और उपभोक्ताओं के साथ दीर्घकालीन संबंध बनाये जा सकें। कैडिट कार्ड टोल फ्री टेलीफोन नंबरों बढ़ती आय तथा लोगों के पास स्टोर में जाकर सामान कय करने के लिए कम समय के कारण प्रत्यक्ष विपणन का महत्व बढ़ रहा है।

इसके अंतर्गत कंपनी टेलीफोन, ई-मेल, फैक्स, अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों को अपनाती है। इसमें मुख्यतः निम्न शामिल है -


(i) टेलीमार्केटिंग इसके अंतर्गत वर्तमान व भावी ग्राहकों से टेलीफोन के द्वारा संपर्क स्थापित किया जाता है आजकल बड़े शहरों में कॉल सेंटर खुले हुए हैं, जो टेलीमार्केटिंग सेवायें प्रदान करते हैं ये कॉल सेंटर समाज के विभिन्न वर्गों के टेलीफोन नंबरों का रिकार्ड रखते हैं। कंपनी की माँग पर ये लक्षित श्रोताओं / संभावित ग्राहकों से टेलीफोन के द्वारा संपर्क स्थापित करते हैं और कंपनी का संदेश उन तक पहुँचाते हैं।


(ii) मोबाइल फोन विपणन मोबाइल फोन के तीव्र प्रचलन से मोबाइल फोन विपणन का प्रयोग बढ़ रहा है। इसके अंतर्गत विपणन संदेश, संभावित ग्राहकों को मोबाइल फोन पर एस.एम.एस. या एम एम एस के द्वारा भेजा जाता है।

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सचार के इस रूप से टेली मार्केटिंग की तरह ग्राहकों से फोन पर बात भी की जा सकती है या लक्षित ग्राहकों के मोबाइल पर लिखित संदेश या वीडियो इमेज भेजे जाते हैं।


(i) प्रत्यक्ष डाक द्वारा प्रत्यक्ष विपणन की इस विधि में कंपनी अपने ग्राहकों को डाक के द्वारा प्रकाशित सामग्री उपलब्ध करवाती है। इसमें कंपनी अपने वर्तमान व भावी ग्राहकों को कंपनी के बारे में उत्पाद की विशेषताओं कीमत, नये खोले गये उपलब्धता के स्थानों (स्टोरों), चल रही संवर्द्धनयोजनाओं आदि के बारे में जानकारी देती है।


प्रत्यक्ष विपणन में कंपनी विपणन संदेश भावी ग्राहकों को सामूहिक रूप से न देकर प्रत्येक संभावित ग्राहकों को पृथक-पृथक रूप में प्रेषित करती है। टेलीमार्केटिंग की दशा में,

पेपक श्रोताओं से वार्तालाप करते समय अपने संदेश को श्रोताओं की प्रतिक्रिया जानने पर समायोजित कर सकता है। प्रत्यक्ष विपणन संचार सम्मिश्र को एक महत्वपूर्ण तत्व बना रहा है, क्योंकि इसमें ग्राहकों के साथ सीधा संपर्क स्थापित किया जाता है। सेवा क्षेत्र में लगी कम्पनिया अपने विपणन संचार का अधिकतर कार्य प्रत्यक्ष विपणन के द्वारा कर रही है। शॉपिंग मॉलों, बैंकों, बीमा कंपनियों दूर संचार सेवा प्रदान करने वाली कंपनियों आदि द्वारा संचार के इस तरीके को प्रयोग किया जा रहा है।


(च) परस्पर संबंध विपणन / इंटरनेट विपणन


पिछले कुछ वर्षों में इंटरनेट का विपणन व विज्ञापन में महत्व बढ़ गया है। इंटरनेट विश्वव्यापी स्तर पर परस्पर जुड़े कम्प्यूटरों के माध्यम से सूचनाओं का आदान-प्रदान करता है।

आजकल इंटरनेट के द्वारा संचार में बहुत वृद्धि हो रही है। यह द्विपक्षीय संचार का साधन है। इसमें लक्षित श्रोता अपनी शंकाओं व समस्याओं से संबंधित पूछताछ करने के अलावा उत्पाद व सेवाओं को कय भी कर सकते हैं आजकल प्रायः सभी बड़ी कंपनियों ने अपनी वेबसाइट पर कंपनी द्वारा आवश्यक सूचनाएँ उपलब्ध करवायी है। इसमें विकयकर्ता संभावित केताओं के द्वार पर जाए बिना उनसे द्विपक्षीय संचार कर सकता है। इस दृष्टि से यह वैयक्तिक विकय से भी अधिक अच्छा संचार साधन है। इसमें द्विपक्षीय संचार होता है, इस दृष्टि से यह विज्ञापन से भी अधिक अच्छा संचार साधन है। यह संचार का बहुत ही कम खर्चीला साधन है इंटरनेट संचार सम्मिश्र के अन्य तत्वों जैसे विज्ञापन विकय संवर्द्धन के संचालन में भी सहायक है जैसे- विज्ञापन को वेबसाइट पर दिया जा सकता है। इसी तरह विकय संवर्द्धन कार्यक्रम से संबंधित विभिन्न छूट योजनाओं के बारे में जानकारी वेबसाइट पर दी जा सकती है परंतु इंटरनेट के द्वारा उन्हीं व्यक्तियों के साथ संचार किया जा सकता है, जिनके पास इंटरनेट कनेक्शन है।


संचार - मिश्रण के विभिन्न घटक- विज्ञापन, वैयक्तिक-विक्रय विक्रय-संवर्द्धन पब्लिसिटी, प्रत्यक्ष विपणन एवं इंटरनेट विपणन है। इन घटकों को विभिन्न विभागों या विशेषज्ञों द्वारा चलाया जाता है। विज्ञापन बनवाने व करवाने का कार्य विज्ञापन विभाग या विज्ञापन एजेंसी द्वारा किया जाता है। वैयक्तिक-विक्रय का कार्य विकय विभाग द्वारा किया जाता है। संचार के अन्य घटकों को विभिन्न विशेषज्ञों द्वारा चलाया जाता है। एकीकृत विपणन संचार के अभाव में यह संभव है कि संचार मिश्रण के विभिन्न घटक एक-दूसरे से समन्वित होकर कार्य न कर सकें और उपभोक्ता को अलग-अलग संदेश पहुंचे। इससे विपणन संचार के उद्देश्यों को पूरा नहीं किया जा सकता। श्रोताओं को स्पष्ट और प्रभावकारी संदेश देने के लिए यह आवश्यक है कि संचार- मिश्रण के विभिन्न घटकों में एक-दूसरे से समन्वय बनाया जाये ताकि ये घटक एक दूसरे के विरोधाभासी कार्य न करें कुछ कम्पनिया, जैसे नेस्ले, आई.बी.एम., माइक्रोसॉफ्ट नाइक, आदि ने एकीकृत विपणन संचार नीति को अपनाया है। इन्होंने अपनी कंपनी में विशेषज्ञों की नियुक्ति की हुई है, जिनका कार्य संचार मिश्रण के विभिन्न घटकों में तालमेल स्थापित करना है ताकि अनुकूलतम संवर्द्धन को चुना जाये और संचार सम्मिश्र के विभिन्न घटकों के समन्वित प्रयोग के द्वारा विपणन संचार के उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सके। एकीकृत संचार में संचार के प्रत्येक घटक का अन्य घटकों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।