उद्यमिता की विशेषताएँ - Features of Entrepreneurship
उद्यमिता की विशेषताएँ - Features of Entrepreneurship
उद्यमिता एक बहुआयामी तथा जटिल विषय है। इसकी मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं :
1. आर्थिक क्रिया उद्यमिता प्राथमिक रूप से एक आर्थिक प्रक्रिया है क्योंकि इसमें उद्यम के विचार से लेकर उसका संचालन करने तक की गतिविधियाँ शामिल होती हैं। यह वस्तुओं के उत्पादन तथा उनके वितरण से भी संबंधित होता है।
2. नवप्रवर्तन शुम्पीटर के अनुसार उद्यमिता एक रचनात्मक तथा सृजनात्मक क्रिया है। एक उद्यमी - मुख्यतः नये विचारों को खोजते रहने वाला व्यक्ति होता है जो अर्थव्यवस्था के लिए नये-नये उत्पाद लेकर आता है। नवप्रवर्तन का अर्थ है ऐसे किसी उत्पादन प्रक्रिया का प्रयोग करना जो अब तक प्रचलन में नहीं आई हो या नया कच्चा माल खोजना या नये संयोजन तलाशना या नये उत्पाद बाजार में लाना । उद्यमिता की भूमिका नवप्रवर्तन के अंतर्गत इन नये विचारों को खोजने,
लागू करने तथा प्रयोग करने से जुड़ी होती है। उद्यमिता स्वयं ही ऐसी रचनात्मकता से जुड़ी रहती है।
3. निर्णय लेना उद्यमी की निर्णय लेने की क्रिया प्रत्यक्ष रूप से उद्यमिता से जुड़ी होती है। उद्यमी को अनिश्चितता के वातावरण में निर्णय लेने होते हैं। निर्णय लेते समय उसे विवेकपूर्ण ढंग से तथ्यों को समझना होता है। उद्यमी विभिन्न प्रकार के निर्णय लेता है; जैसे व्यवसाय की विभिन्न गतिविधियों के बारे में, व्यापार के प्रकार व आकार के बारे में आदि। उद्यमिता इसमें इसका मनोबल बनाए रखती है।
4. निर्माण कौशल फ्रेडरिक हरबिसन ने अपने शोध कार्य आर्थिक विकास के घटक उद्यमशीलता संगठन' में इस बात पर विशेष रूप से बल दिया है
कि उद्यमिता का एक महत्त्वपूर्ण लक्षण निर्माण कौशल होता है। उद्यमी उसी के आधार पर अपने व्यवसाय के निर्माण की कल्पना को साकार रूप में लेकर आता है।
5. संगठन का निर्माण हरबिसन के अनुसार उद्यमिता का अर्थ संगठन का निर्माण करना होता है। यह उद्यमिता में गर्भित रूप से शामिल होता है। संगठन का निर्माण किसी भी औद्योगिक विकास के लिए महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह एक विशिष्ट कला के रूप में देखा जाता है। विशिष्ट कला के द्वारा उद्यमी अपने अधिकारों का भारार्पण करके संस्था के लिए किए जाने वाले प्रयासों को कई गुणा करने में कामयाब हो जाते हैं। उद्यमियों से यह आशा भी की जाती है कि वे अच्छे नेतृत्व के द्वारा संगठन निर्माण का कार्य करते रहें।
6. प्रबंधकीय योग्यता - प्रबंधकीय कौशल तथा नेतृत्व को उद्यमिता की सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता माना जाता हे। बी. एफ. हॉसक्लिट्ज़ के अनुसार जो व्यक्ति एक सफल औद्योगिक उद्यमी बनना चाहता है उसमें लाभ तथा संपत्ति से कहीं अधिक और बहुत कमाने की दृढ़ इच्छा होनी चाहिए। उसमें उन लोगों को पहचानने की भी विशेषता होनी चाहिए जो उसकी संस्था के लिए प्रबंधकीय कार्यों में प्रभावशाली ढंग से योगदान दे सकते हैं। वह एक अच्छा अभिप्रेरक तथा नेतृत्व करने वाला व्यक्ति होना चाहिए। उद्यमिता इन गुणों के समावेश का ही एक रूप समझी जाती है।
7. उच्च उपलब्धि प्राप्त करने के कार्य-उद्यमिता ऊँची उपलब्धियाँ प्राप्त करने का कार्य होता है। जो व्यक्ति समाज में उच्च स्तर की उपलब्धियां प्राप्त करने की इच्छा रखता है
वह सामान्यता सफल उद्यमी बनता है। मैक्केलेंड ने उद्यमी की लाभ कमाने की इच्छा को भी इससे संबंधित किया है।
8. खाई भरने का कार्य समाज में उपलब्ध उत्पाद तथा सेवाओं की माँग तथा उनकी पूर्ति में अंतर ही उद्यमिता को जन्म देते हैं। उद्यमिता इस अंतर को पूरा करने का कार्य करती है, यही इसकी विशेषता भी है। उद्यमिता के कारण ही उद्यमी ऐसे अवसरों की पहचान करते हैं तथा उस अंतर को पूरा करने का प्रयास करते हैं। उद्यमी इस पूर्ति की कमी को पूरा करने के लिए संसाधनों को जुटाता है, व्यवसाय की स्थापना करता है, उत्पाद तैयार करता है तथा माल बेचकर या सेवाएँ प्रदान करके लाभ कमाता है। अत: उद्यमिता साधनों को इकट्ठा करने तथा माँग और पूर्ति के अंतर को कम करने की भी एक कला कही जा सकती है।
9. जोखिम उठाना जोखिम उद्यमशीलता का एक अंतर्निहित तथा अभिन्न अंग है।
एक उद्यमी भविष्य की अनिश्चितताओं को अच्छे से जानता है। उद्यमिता की विशेषता की उसे इनका सामना करने के लिए हौसला देती है। भविष्य के अवसर भुनाने के लिए जोखिम उठाना आवश्यक होता है तथा उद्यमिता इस जोखिमों के उठाने का गुण ही होता है। कुछ नया तथा अलग करना जोखिम भरा कार्य माना जाता है, ऐसा करना ही उद्यमिता है। उद्यमिता विभिन्न तरह के अन्य जोखिमों; जैसे सामग्री की कमी, प्रतियोगिता, ग्राहक की बदलती सोच एवं रुचियों आदि से भी सामना करने के लिए उद्यमी को मानसिक रूप से तैयार करती है।
10. गतिशील प्रक्रिया उद्यमिता एक गतिशील प्रक्रिया है। उद्यमिता व्यापार में वातावरण के अनुसार परिवर्तन करती रहती है, जिससे व्यवसाय को नये अवसर प्राप्त होते रहते हैं। लोचशीलता व्यवसाय की सफलता की एक मुख्य आवश्यकता भी मानी जाती है।
11. लाभ कमाने की तीव्र इच्छा उद्यमी के दो मुख्य अभिप्रेरक कारणों से उद्यमी का आर्थिक व्यवहार उद्यमिता कहलाता है वे हैं यश कमाने की इच्छा तथा लाभ कमाने की इच्छा। ये दोनों इच्छाएँ या विशेषताएँ उद्यमी की व्यक्तिगत विशेषताओं से जुड़ी होती हैं। इन्हीं दो आधारों पर उद्यमियों को भी दो भागों में विभक्त किया जाता है। एक तो वह जो लाभ कमाने की इच्छा से कार्य करते हैं तथा दूसरे वह जो समाज में एक उच्च सम्मानीय स्थान तक पहुँचने की इच्छा रखते हैं।
12. व्यक्तिगत, सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक विशेषताएँ- विकसित तथा विकासशील देशों में उद्यमी को
कई बार संदेह की दृष्टि से भी देखा जाता है। एक उद्यमी के ये सभी गुण एक-दूसरे से संबंधित होते हैं । लाभ कमाने की इच्छा मनोवैज्ञज्ञनिक रूप से इसके साथ जन्म लेती है। यद्यपि यह एक व्यक्तिगत इच्छा है, परंतु यही उद्यमिता का रूप धारण करके उसे लाभ कमाने वाला उद्यमी बनाती है। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि उद्यमिता एक बहु-आयामी अवधारणा है। यह कला एवं विज्ञान दोनों का ही संगम है । इसी कारण से यह कहा जाता है कि एक उद्यमी में अच्छी बुद्धि, उद्देश्यों को स्पष्ट रूप से समझने की योग्यता, व्यावसायिक रहस्यों को बनाए रखने का गुण तथा आत्मविश्वास जैसे गुण अवश्य होने चाहिए। उद्यमी के सभी गुणों का समावेश उद्यमिता बनाता है तथा व्यवसाय की सफलता में सहायक सिद्ध होता है।
वार्तालाप में शामिल हों