विक्रय प्रबन्ध के उद्देश्य - objectives of sales management

विक्रय प्रबन्ध के उद्देश्य - objectives of sales management


विक्रय प्रबन्ध के प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं


1. उपभोक्ता सन्तुष्टि उपभोक्ता सन्तुष्टि विक्रय प्रबन्ध का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य है। इसका - कारण यह है कि बिना उपभोक्ता को संतुष्ट किये न तो बिक्री की जा सकती है और न लाभ कमाया जा सकता है। इसलिए निर्माता और विक्रेता को केवल वे ही वस्तुयें एवं सेवायें प्रदान करने का प्रयास करना चाहिए जिन्हें उपभोक्ता चाहता है।


2. बिक्री बजट - व्यवसाय का पूरा ढाँचा बिक्री पर खड़ा है इसलिए विक्रय प्रबन्ध का उद्देश्य होता है कि व्यवसाय की पुरानी बिक्री व खर्चे आदि को ध्यान में रखकर भावी बिक्री का अनुमान लगावे।

इसके लिए बजट बनाये जा सकते हैं जिनमें भावी बिक्री व लागत को ठीक प्रकार से आंका जाना चाहिए जिससे कि बिक्री व लाभ के लक्ष्यों को सही प्रकार से प्राप्त किया जा सके।


3. समन्वय - विक्रय प्रबन्ध का उद्देश्य संस्था के सभी प्रयासों में समन्वय करना जिससे कि बिक्रय लक्ष्य प्राप्त कर समुचित लाभ कमाया जा सकें। यदि समन्वय का अभाव रहेगा तो संस्था के व्ययों में वृद्धि होगी और संस्था हानि में चली जायेगी। जैसे- संस्था के उत्पादन विभाग, विक्रय विभाग एवं विज्ञापन व विक्रय संवर्द्ध विभागों में पूर्व समन्वय होना चाहिए। यदि इनमें समन्वय का अभाव रहा तो बिक्री और लाभ प्रभावित होंगे।


4. विक्रय कर्मचारियों का विकास विक्रय प्रबन्ध का उद्देश्य विक्रय कर्मचारियों का विकास करना है जिससे की आवश्यकता के समय उचित मात्रा में विक्रयकर्ता मिल सकें। इसके लिए भर्ती चयन व प्रशिक्षण आदि की व्यवस्था पूर्वानुमान के आधार पर पहले से ही की जाती है। 


5. विक्रय शक्ति का प्रबन्ध विक्रय कर्मचारियों का नियोजन, निर्देशन एवं नियंत्रण करना भी विक्रय प्रबन्ध का उद्देश्य माना जाता है।


6. विक्रय क्रियाओं पर नियन्त्रण विक्रय प्रबन्ध का मुख्य उद्देश्य विक्रय क्रियाओं पर नियन्त्रण रखना है।

इसके लिए कोटे निर्धारित कर विक्रेता या विक्रयकर्ता को उत्तरदायी बनाया जा सकता है। व्यापारिक क्रियाओं को क्षेत्रों में बाँट कर नियन्त्रण किया जाता है।


7. वस्तु परिचय यदि वस्तु नई है तो मांग उत्पन्न करने के लिए विज्ञापन क्रियाओं का सहारा लेकर वस्तु का परिचय कराना भी विक्रय प्रबन्ध का उद्देश्य है।


8. क्रेताओं को आकर्षित करना विक्रय प्रबन्ध का एक उद्देश्य सम्भावित ग्राहको को वस्तु के प्रति आकर्षित करना है। इसके लिए विक्रय प्रबन्ध उपभोक्ताओं का पता लगाने के लिए बाजार सर्वेक्षण करता है फिर विक्रय संवर्द्धन क्रियायों द्वारा विक्रय करने का प्रयास करता है। 


9. बाजार सर्वेक्षण विक्रय प्रबन्ध का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य बाजार सर्वेक्षण या अनुसंधान करना है जिससे कि - 


1. नये बाजारो व क्रेताओं का पता लगाया जा सके।


2. विक्रय पूर्वानुमान का सही-सही अनुमान लगाया जा सके। 


3. वितरण स्रोतों का पता लगाया जा सकें।


संक्षेप में विक्रय प्रबन्ध का उद्देश्य बिक्री की समुचित व्यवस्था करना है जिससे कि बिक्री अनुमान के अनुसार होती रहे और व्यवसाय लाभ पर चलता रहे।


विक्रय प्रबन्ध के कार्य


विक्रय प्रबन्ध के अनेक कार्य है जिन्हें निम्नलिखित तीन भागो में बाँटा जा सकता है


1. सामान्य प्रबन्ध एवं प्रशासन के कार्य


2. विक्रय शक्ति के प्रबन्ध से सम्बन्धित कार्य


3. अन्य कार्य।


1. सामान्य प्रबंध एवं प्रशासन के कार्य


एक संस्था में विक्रय प्रबन्ध एवं प्रशासन सम्बन्धी कार्य निम्नलिखित होते हैं।


1. विक्रय नीति एवं शर्तों का निर्धारण विक्रय प्रबन्ध व्यवसाय के लिए सामान्य विक्रय नीति का निर्धारण करता है जिसे बाजारू परिस्थितियों, प्रतिस्पर्धा, भावी विकास आदि को ध्यान में रखकर बनाया जाता है। इसमें साख, माल की डिलीवरी, मूल्य का भुगतान, माल की वापसी, बट्टा कटौती व रास्ते की जोखिम, आदि के बारे में निर्णय लेने होती है।


2. विक्रय बजट बनाना विक्रय बजट विपणन बजट का एक भाग होता है लेकिन विक्रय प्रबन्ध का यह उत्तरदायित्व होता है कि वह अपने विभाग का बजट तैयार करें।

विक्रय बजट में किसी विशेष समय में सम्भावित बिक्री, विक्रयकर्ता व उस सम्भावित बिक्री पर होने वाले व्ययों का अनुमान होता है। यह बजट विक्रय विभाग को अपनी सीमा में ही रहने के लिए बाध्य करता है। इससे व्ययों पर नियन्त्रण बना रहता है।


3. विक्रय योजना तैयार करना विक्रय प्रबन्ध विक्रय पूर्वानुमान के बाद विक्रय योजना तैयार करता है जिसमें वस्तुओं के मूल्य, विक्रय क्षेत्र, विक्रयकर्ताओं की आवश्यकता व अन्य विक्रय साधनों का निर्धारण किया जाता है।


4. विक्रय पूर्वानुमान लगाना यह विक्रय प्रबन्ध का एक महत्वपूर्ण कार्य है।

इसमें भावी बिक्री का अनुमान लगाया जाता है कि भविष्य में एक निश्चित अवधि में संस्था कितनी बिक्री कर सकती है। इस पूर्वानुमान को लगाते समय वस्तु की मांग, प्रतिस्पर्धा, बाजारू परिस्थितियों, प्रतियोगी वस्तु के मूल्य व गुणवत्ता, ग्राहक का रुझान, ग्राहक की क्रयशक्ति, जैसी अनेक बातों को ध्यान में रखना पड़ता है वास्तव में इस पूर्वानुमान के आधार पर ही विक्रय योजना व विक्रय बजट बनाएं जाते है।


5. विक्रय लक्ष्य निर्धारित करना विक्रय पूर्वानुमान व विक्रय योजना के साथ-साथ विक्रय विभाग विक्रय के लक्ष्य निर्धारित करता है। इसमें बाजार का भाग, विक्रय, संवर्द्धन, विक्रय मात्रा आदि के बारे में लक्ष्य निर्धारित किया जाता है।


6. विक्रय क्रियाओं पर नियन्त्रण करना - विक्रय विभाग का एक कार्य विक्रय क्रियाओं पर नियन्त्रण रखना है। इन विक्रय क्रियाओं में विक्रयकर्ताओं पर नियन्त्रण, कोटों का निर्धारण, क्षेत्रों का निर्धारण, विक्रय व्ययो पर नियन्त्रण, विक्रय लागत में कमी, ग्राहकों से भेट वार्ता आदि भी शामिल हैं।


7. अभिप्रेरित करना - विक्रय प्रबन्ध का काम अपने कर्मचारियों व विक्रेताओं को अभिप्रेरित करना भी है। अभिप्रेरणा से अर्थ उन्हें अधिक कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करना। इसके लिए उन्हें सुविधाएं दी जाती है। ये सुविधा दो प्रकार की होती है वित्तीय सुविधा जिसमें धन मिलता है जबकि अवित्तीय सुविधा जिसमें कर्मचारियों की प्रशंसा व पदोन्नति आदि सम्मिलित है।