उत्तरदायित्व लेखांकन की प्रक्रिया - Liability Accounting Process

उत्तरदायित्व लेखांकन की प्रक्रिया - Liability Accounting Process


उत्तरदायित्व लेखांकन की प्रकिया में निम्नलिखित चरणों को सम्मिलित किया जाता है:


(1) उत्तरदायित्व केन्द्रों की स्थापना नियंत्रण के लिए सर्वप्रथम व्यवसाय के सभी क्रियाओं को समूहों में विभाजित कर दिया जाता है। प्रत्येक क्रिया समूह एक उत्तरदायित्व केन्द्र होता है। राबर्ट एन. एन्थनी के अनुसार, उत्तरदायित्व केन्द्र संस्था की एक इकाई है जिसका अध्यक्ष एक उत्तरदायी व्यक्ति होता है।" उत्तरदायित्व केंद्र तीन प्रकार के होते हैं:


लागत अथवा व्यय केंद्र संस्था की ऐसी इकाई जिस पर खर्च तो होता है

लेकिन उसके उत्पादन को मुद्रा में नहीं मापा जा सकता लागत अथवा व्यय केंद्र है क्योंकि इसमें प्रशासनिक कार्यों के खर्चे किए जाते हैं लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि इन कार्यों पर किए गए खर्चों से कितनी आय होगी।


(ii) लाभ केन्द्रः संस्था की ऐसी इकाई जिसका लक्ष्य लाभ के रूप में निश्चित कर दिया जाता है, लाभ केंद्र कहलाता है। ऐसी इकाई के आय एवं व्यय के अंतर से लाभ ज्ञात करके उसकी सफलता या असफलता का मूल्यांकन किया जाता है। जैसे एक कारखाना लाभ केन्द्र है क्योंकि इसमें उत्पादित वस्तुओं की लागत एवं उनके मूल्य के अंतर से लाभ ज्ञात किया जा सकता है।


विनियोग केन्द्रः संस्था की ऐसी इकाई है जहां प्रबंधक का आय-व्यय के साथ-साथ विभाग में प्रयोग की जाने वाली सम्पतियों के प्रभावपूर्ण उपयोग के लिए भी उत्तरदायी ठहराया जाता है, विनियोग केंद्र कहलाता है।


(2) लेखांकन की व्यवस्था विकसित करनाः उत्तरदायित्व लेखांकन के दूसरे चरण के रूप में लेखांकन की ऐसी व्यवस्था तैयार की जाती है जिससे प्रत्येक उत्तरदायित्व केंद्र के लेखे अलग-अलग तैयार किए जा सकें।


(3) लक्ष्य का निर्धारण करनाः उत्तरदायित्व लेखांकन के तीसरे चरण में सभी विभागों के लक्ष्य निर्धारित किए जाते हैं।


(4) नियंत्रणीय तथा अनियंत्रणीय लागतों कर निर्धारण: लक्ष्य निश्चित करने के बाद प्रत्येक विभाग की सभी लागतों को दो भागों में बांट दिया जाता है:


जिन पर नियंत्रण करना संभव नहीं है तथा जिन पर नियंत्रण करना संभव नहीं है। पहली प्रकार की लागतों के लिए


(ii) ही प्रबंधकों को उत्तरदायी ठहराया जाता है। जरुरी कार्यवाही करना: उत्तरदायित्व लेखांकन पद्धति के अंतिम चरण के रूप में


 (5) विभाग की वास्तविक कार्य प्रगति का रिकार्ड रखा जाता है, विचलनों को ज्ञात किया जाता है, संबंधित अधिकारियों को प्रगति रिपोर्ट भेजी जाती है और उत्तरदायित्व निश्चित करके उचित कार्यवाही का सुझाव दिया जाता है।