मानवतावाद - humanism

मानवतावाद एक लोकतान्त्रिक और नैतिक जीवनदृष्टि है, जो पुष्ट करती है कि मनुष्य के पास अपने जीवन को अर्थ और आकार देने का अधिकार और उत्तरदायित्व है। मुक्तिबोध अपने काव्यजीवन के प्रारम्भ से ही मानवता के सुख-दुःख के भागीदार बने हैं, उनकी दृष्टि, उनकी सोच मानव मात्र के सुख-दुःख पर केन्द्रित रही है। उनके काव्य में मानव के सभी रूप, सभी दुर्बलताएँ और शक्तियाँ प्रतिष्ठित हैं। काव्य प्रयोजन के सम्बन्ध में अपने विचार व्यक्त करते हुए वे लिखते हैं- "घर में, परिवार में, समाज में मनुष्य को मानवोचित जीवन प्राप्त हो। "