हिन्दी शब्द : उत्पत्ति एवं स्थापना - Hindi word: origin and establishment

 हिन्दी शब्द : उत्पत्ति एवं स्थापना - Hindi word: origin and establishment


प्रस्तुत मुद्दे के अन्तर्गत, सबसे पहले हम यह जानें कि किसी भाषा की सम्पूर्ण संरचना एवं उसके सार्थक अनुप्रयोगात्मक पक्ष में, शब्द एक अति महत्त्वपूर्ण एकाई है, जिसके चारों और उसके एकार्थ (एक आयामी) या अनेकार्थ (बहु-आयामी) रूप घूमते रहते हैं। इसी सन्दर्भ में हम हिन्दी शब्द के निहितार्थी एवं उसकी स्थापना के कारकों (Agents / Doers) का संज्ञान लेकर उसकी व्यापक अवधारणात्मक भूमिका को जान पाएँगे। साथ ही, बिना लिपि के शब्द की सम्पूर्ण सत्ता और शक्ति को न तो जाना जा सकता है और न ही समझा जा सकता है। आइए, इसी विचार टिप्पणी के सन्दर्भ में प्रस्तुत आयामों को जानें-


भाषा में शब्द का स्थान


अगर किसी भाषिक संरचना का विश्लेषण किया जाए तो हम पाएँगे कि भाषा अपने आप में एक समेकित / संघठित (Consolidated) संगठित (Organized) स्वतन्त्र इकाईपरक व्यवस्था है, जो सार्थक आशयपरक- भावाभिव्यक्ति / सम्प्रेषण को लेकर प्रयोक्ता (वक्ता / लेखक आदि) और लक्ष्यार्थी (लक्षित (Targeted) श्रोता / पाठक आदि ) के बीच, एक बिचौलिये / मध्यस्थ (Mediator) का कर्त्तव्य निभाती है। वैसे तो व्यापक अर्थों में, इस आधार पर, सार्थक भावभिव्यक्ति के सभी सम्प्रेषणीय कारक / माध्यम (Agent) मसलन, चित्र, संगीत, नृत्य, मूर्ति, वास्तु आदि अपने-अपने घटकों (Components) यथा ध्वनि / स्वर, रंग, रेखांकन भाव-भंगिमाएँ, (अभिनय) आदि को लेकर अपने व्यावहारिक क्षेत्र की एक भाषा के रूप में ही आएँगे।

इस सन्दर्भ में स्विस भाषाविज्ञानी फर्डीनांड द सस्यूर (Ferdinand de Saussure (1857-1913) ने संकेत-विज्ञान (जिसमें, ट्राफिक सिग्नल की बत्तियों में दिये जाने वाले लाल-पीले-हरे रंगों द्वारा ट्राफिक नियमों के मूकसंकेत-सन्देश सम्प्रेषण, यथा- क्रमशः, रुकिए, ठहरिए / जाने के लिए तैयार रहिए और जाइए / बढ़िए के अनुदेशात्मक (Instructional) सन्देश को देने) के कई भाषिक सिद्धान्तों को स्थापित किया, जो आगे चलकर हर तरह के भाषाविज्ञान में मील का पत्थर (नींव) साबित हुए हैं। परन्तु यहाँ हम मौखिक - लिखित पारम्परिक भाषिक कारकों / सन्दर्भों जैसे, स्वनिम (ध्वनिग्राम), रूपिम शब्द, पदबंध उपवाक्य - वाक्य एवं प्रोक्ति -> (डिस्कोर्स) के सन्दर्भों में, हिन्दी के परिप्रेक्ष्य में, शब्द के स्थान को समझेंगे। इसके लिए आइए, अब हम हिन्दी शब्द की व्युत्पत्ति को जानें...