देवनागरी लिपि का उद्भव और विकास - Origin and development of Devanagari script

देवनागरी लिपि का उद्भव और विकास - Origin and development of Devanagari script

देवनागरी या नागरी लिपि का उद्भव भारत की प्राचीन लिपि ब्राह्मी से माना जाता है। देवनागरी लिपि का प्रारम्भिक रूप बोधिगया के महानाम अभिलेख (सन् 588) में मिलता है। इस प्रकार छठी सातवीं शताब्दी में विकसित होते हुए आठवीं शती तक देवनागरी का विकसित रूप सामने आ चुका था। इस प्रकार नागरी लिपि में विकास होते-होते बारहवीं शताब्दी में आधुनिक नागरी लिपि का स्वरूप निर्धरित हो चुका था। बारहवीं शताब्दी से आज तक नागरी लिपि के अधिकांश चिह्नों का एक ही रूप चलता आ रहा है लेकिन विकास के दौरान आवश्यकता के अनुसार उसमें नये लिपि चिह्नों का समावेश भी हुआ है। देवनागरी लिपि पर फ़ारसी, गुजराती तथा अंग्रेज़ी का भी प्रभाव रहा है।


(1) विकास के दौरान नागरी लिपि पर फ़ारसी लिपि का बहुत प्रभाव पड़ा। फ़ारसी लिपि में नुक्ते या बिन्दु का काफी प्रयोग होता है। उसके प्रभाव से नागरी लिपि में भी नुक्ते या बिन्दु का प्रयोग मिलता है।


(ii) नागरी लिपि पर गुजराती लिपि का भी प्रभाव पड़ा। गुजराती लिपि में शिरोरेखा का प्रयोग नहीं होता। उसके प्रभाव से बहुत से लोग नागरी लिपि को भी शिरोरेखा के बिना लिखते हैं।


(iii) नागरी लिपि ने अंग्रेजी से भी प्रभाव ग्रहण किया। अंग्रेजी के 'हॉल', 'ऑफिस' जैसे शब्दों के प्रचलित होने के बाद इन शब्दों में प्रयुक्त 'ऑ' ध्वनि के लिए एक नये लिपि चिह्न 'ऑ' की परिकल्पना नागरी लिपि में की गई।


(iv) नागरी लिपि पर अंग्रेजी के विराम चिह्नों का भी प्रभाव पड़ा है। नागरी लिपि में पूर्ण विराम के लिए खड़ीपाई का प्रयोग किया जाता है लेकिन अब अंग्रेज़ी के प्रभावस्वरूप तथा आधुनिक मुद्रण तकनीक में सुविधा की दृष्टि से खड़ी पाई (1) के स्थान पर अंग्रेजी बिन्दु ( ) का प्रयोग चल पड़ा है। इनके अतिरिक्त अंग्रेजी में प्रचलित कुछ अन्य विरामादि चिह्न भी हिन्दी में प्रयुक्त होते हैं।


देवनागरी लिपि मुस्लिम शासन के दौरान भी इस्तेमाल होती रही है। विभिन्न मूर्ति- अभिलेखों, शिखालेखों, ताम्रपत्रों आदि में भी देवनागरी लिपि के हज़ारों अभिलेख प्राप्त हैं, जिनका कालखण्ड सन् 1008 ई. के आसपास का है। मुसलमानों के भारत आगमन के पूर्व से भारत की भाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी थी, जिसके द्वारा सभी कार्य सम्पादित किए जाते थे।


भारत में इस्लाम के आगमन के पश्चात् संस्कृत का गौरवपूर्ण स्थान फ़ारसी को प्राप्त हो गया। किन्तु मुस्लिम शासक देवनागरी लिपि में लिखित संस्कृत भाषा की पूर्ण उपेक्षा नहीं कर सके। महमूद गज़नवी ने अपने राज्य के सिक्कों पर देवनागरी लिपि में लिखित संस्कृत भाषा को स्थान दिया। शेरशाह सूरी ने भी अपनी राजमुद्राओं पर देवनागरी लिपि को समुचित स्थान दिया था। उसके फ़रमान फ़ारसी और देवनागरी दोनों लिपियों में समान रूप से लिखे जाते थे। देवनागरी लिपि में लिखित हिन्दी परिपत्र सम्राट अकबर (शासन काल 1556 ई.- 1605 ई.) के दरबार से जारी या प्रचारित किए जाते थे, जिनके माध्यम से देश के अधिकारियों, न्यायाधीशों, गुप्तचरों, व्यापारियों, सैनिकों और प्रजाजनों को विभिन्न प्रकार के आदेश अनुदेश प्रदान किए जाते थे। इस प्रकार के चौदह परिपत्र राजस्थान राज्य के बीकानेर अभिलेखागार में सुरक्षित हैं।


औरंगजेब के शासन काल (1658 ई.-1707 ई.) में अदालती भाषा में कोई परिवर्तन नहीं हुआ, राजस्व विभाग में हिन्दी भाषा और देवनागरी लिपि ही प्रचलित रही। फ़ारसी किबाले, पट्टे, रेहन्नामे आदि का हिन्दी अनुवाद अनिवार्य बना रहा । औरंगजेब परवर्ती मुगल सम्राटों के राज्यकार्य से सम्बद्ध देवनागरी लिपि में हस्तलिखित बहुसंख्यक प्रलेख उक्त अभिलेखागार में उपलब्ध हैं, जिनके विषय तत्कालीन व्यवस्था-विधि, नीति, पुरस्कार, दण्ड, प्रशंसा-पत्र, जागीर, उपाधि, सहायता, दान, क्षमा, कारावास, गुरु गोविन्द सिंह, कार्यभार ग्रहण, अनुदान, सम्राट की यात्रा, सम्राट औरंगजेब की मृत्यु सूचना युद्ध सेना-प्रयाण, पदाधिकारियों को सम्बोधित आदेश अनुदेश, पदाधिकारियों के स्थानान्तरण-पद स्थापन आदि से सम्बद्ध हैं। यह अनिवार्यता ब्रिटिश राज्यारम्भ काल (23 जून 1757 ई.) तक सुरक्षित रही। 18वीं शताब्दी के मध्य तक हिन्दी में मुद्रण के विकास के साथ इसमें परिपक्वता आती गई।


देवनागरी का निरन्तर विकास होता रहा है और आज यह एक समृद्ध लिपि के रूप में विकसित हो गई है। विद्वानों के द्वारा देवनागरी को एक पूर्ण वैज्ञानिक लिपि की संज्ञा दी जाती है। आधुनिक प्रौद्योगिकी का वाहक बनने तथा सरलीकरण के उद्देश्य से इसके मानकीकरण की आवश्यकता अनुभव की गई। तदनुसार इसके वर्णों तथा वर्तनी व्यवस्था का मानकीकरण किया गया है। सन् 2012 से भारतीय मानक संस्थान द्वारा देवनागरी लिपि- वर्तनी को मानक रूप प्रदान कर उसे आई.एस.ओ. भी प्रदान कर दिया गया है।