भारतीय वयस्कता अधिनियम, 1875 - Indian Adulthood Act, 1875



भारतीय वयस्कता अधिनियम, 1875 - Indian Adulthood Act, 1875


भारतीय वयस्कता अधिनियम, 1875


इस अधिनियम में यह व्यवस्था दी गई है कि भारत का प्रत्येक निवासी निम्नलिखित मामले को छोड़कर 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर लेने पर वयस्क (बालिग) हो जाता है:


(i) ये व्यक्ति जिनके बारे में या जिनकी संपत्ति या दोनों के बारे में अभिभावक नियुक्त किया गया हो,


(ii) वे व्यक्ति जिनकी संपत्ति के बारे में देखरेख की जिम्मेदारी किसी अभिभावकों के न्यायालय ने ली हो, इन मामलों में 21 वर्ष पूरे होने पर ही व्यक्ति बालिग माना जाएगा।


किशोरों के लिए न्याय (बच्चों की देखभाल और सुरक्षा अधिनियम, 2000:-


इस अधिनियम में किशोरों के विकास की जरूरतों को पूरा कर उन्हें समुचित देखभाल, सुरक्षा और सद्व्यवहार प्रदान करने, बच्चों के सर्वोत्तम हित में मुद्दों पर विचार और निर्णय करते समय बाल मित्रवत रास्ता अपनाने और विभिन्न संस्थानों के जरिये उनके पुनर्वास का प्रावधान है। अधिनियम एक किशोर या बच्चे, जिसने 18 वर्ष पूरे न किये हों की देखभाल और सुरक्षा के लिये है। कानून से संघर्ष में एक किशोर वह होता है. जिस पर कोई अपराध करने का आरोप हो। 

इस अधिनियम में एन० जी० की भूमिका इस प्रकार है:


1. कानून से संघर्ष कर रहे अल्प वयस्कों के अस्थायी आवास के लिए निरीक्षण गृह स्थापित करना जिनमें उन्हें उनके विरुद्ध चल रही जांच के दौरान रखा जाए।


2. कानून के संघर्ष कर रहे अल्प वयस्कों आवास और पुनर्वास के लिए विशेष गृह स्थापित करना,


3. अल्प वयस्क न्याय बोर्ड के समक्ष वयस्क पर एक सामाजिक जाँच रिपोर्ट पेश करना ताकि बोर्ड उस पर यथोचित आदेश पारित करें,


4. बाल कल्याण समिति के समक्ष किसी बच्चे को पेश करना जिसे देखभाल और सुरक्षा की जरूरत हो


5 किसी जांच के चलते जिन बच्चों को देखभाल और सुरक्षा की जरूरत है, और बाद में उनकी देखभाल उपचार शिक्षा प्रशिक्षण विकास और पुनर्वास के लिए बाल गृह स्थापित करना,


6 जिन बच्चों को तुरन्त सहायता की आवश्यकता है उनके लिए आश्रय गृह स्थापित करना जो उनके लिए ड्राप इन सेंटर का काम करेंगे, 


7. गोद लेने पालन पोषण देखभाल, प्रयोजन और बच्चे को किसी परिचय संगठन में भेजकर बाल गृह या विशेष गृह में रह रहे बच्चों के पुनर्वास और सामाजिक जुड़ाव की व्यवस्था करना, 


8. बच्चों या अल्प वयस्कों के बाल गृह या विशेष गृह छोड़ने के बाद उनकी देखभाल के उद्देश्य से परिचर्या संगठन स्थापित करना ताकि वे ईमानदार, मेहनतकश और उपयोगी जीवन बिता सकें।


इस अधिनियम में नीचे बताई स्थितियों में दण्ड की व्यवस्था है: 


1. किसी अल्प वयस्क या बच्चे पर प्रहार नृशंसता का व्यवहार,


2 किसी बच्चे को काम पर रखना या उसका प्रयोग करना या उससे भीख मांगने का काम कराना,


3 किसी अल्प वयस्क या बच्चे को मादक शराब या कोई नारकोटिक ड्रग या साइकोट्रॉपिक वस्तु देना या देने के लिए मजबूर करना,


4 किसी खतरनाक नौकरी पर लगाने के लिए किसी अल्प वयस्क या बच्चे का दुरुपयोग करना, उसे बंधक रखना और उसकी कमाई राशि उसे न देना या उस राशि को अपने लिए प्रयोग में लाना।


बाल विवाह निरोध अधिनियम, 199 इस अधिनियम में बाल विवाह सम्पन्न करने का निरोध है। बाल विवाह एक ऐसा विवाह है जिसमें जिसमें पुरुष ने की आयु पूरी न की ने 21 वर्ष की आयु पूरी न की हो और / या महिला ने 18 वर्ष हो । इस अधिनियम में निम्नलिखित के लिए दण्ड का प्रावधान है।


1. पुरुष वयस्क जो बाल विवाह का संबंध बनाता है, 


2. व्यक्ति जो बाल विवाह करवाता है या उसका निर्देश देता है, और


3. नाबालिग बच्चे के माता-पिता या संरक्षक जो बाल विवाह कराते है। इसके अतिरिक्त न्यायालय को यह जानकारी मिले या शिकायत प्राप्त हो कि बाल विवाह की व्यवस्था की जा रही है, या वह होने वाला है, या वह होने वाला है तो , न्यायालय उस विवाह पर रोक लगा सकता है।