शैक्षिक अनुसंधान: अर्थ, क्षेत्र, महत्व एवं उद्देश्य, शिक्षाशास्त्र एक अनुशासन के रूप में

शैक्षिक अनुसंधान: अर्थ, क्षेत्र, महत्व एवं उद्देश्य, शिक्षाशास्त्र एक अनुशासन के रूप में

शैक्षिक अनुसंधान: अर्थ, क्षेत्र, महत्व एवं उद्देश्य, शिक्षाशास्त्र एक अनुशासन के रूप में


प्रस्तावना


शिक्षा का मुख्य लक्ष्य बालकों के व्यवहार में विकास एवं परिवर्तन करना है। शोध कार्यों द्वारा ज्ञान वृद्धि के साथ मानव विकास तथा कल्याण को महत्व दिया जाता है। अनुसंधान तथा शिक्षण क्रियाओं द्वारा इन लक्ष्यों की प्राप्ति की जा सकती है। ● शिक्षण की समस्याओं तथा बालक के व्यवहार के विकास संबंधी


समस्याओं तथा बालक के व्यवहार के विकास संबंधी समस्याओं का अध्ययन करने वाली प्रक्रिया को शिक्षा अनुसंधान कहते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार को लाने के लिए अनुसंधान बहुत ही आवश्यक है। शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को अधिक से अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए अनवरत शैक्षिक अनुसंधान की आवश्यकता है।


अनुसंधान का अर्थ


● अनुसंधान एक व्यवस्थित तथा सुनियोजित प्रक्रिया है जिसके द्वारा मानवीय ज्ञान में वृद्धि की जाती है।


• अनुसंधान एक व्यवस्थित तथा सुनियोजित प्रक्रिया है जिसके द्वारा मानवीय ज्ञान में वृद्धि की जाती है।


 अनुसंधान में नवीन तथ्यों की खोज की जाती है तथा नवीन सत्यों का प्रतिपादन किया जाता है।


● शोध कार्यों द्वारा प्राचीन प्रत्ययों तथा तथ्यों का नवीन अर्थापन किया जाता है।


शोध कार्यों द्वारा चरों के सहसंबंध का विश्लेषण किया जाता है। यह संबंध विशिष्ट परिस्थितियों पर निर्भर करता है।


● विकासात्मक शोध कार्यों में चरों की प्रभावशीलता का अध्ययन किया जाता है।



अनुसंधान की परिभाषाएं


जॉन डब्लू बैस्ट के अनुसार, “अनुसंधान अधिक औपचारिक, व्यवस्थित तथा गहन प्रक्रिया है जिसमें वैज्ञानिक विधि विश्लेषण को प्रयुक्त कया जाता है। अनुसंधान में व्यवस्थित स्वरूप को सम्मिलित किया जाता है जिसके फलस्वरूप निष्कर्ष निकाले जाते हैं। और उनका औपचारिक आलेख तैयार किया जाता


रेडमेन एवं मोरी के अनुसार, नवीन ज्ञान की प्राप्ति के लिए व्यवस्थित प्रयास ही अनुसंधान है।



शिक्षा अनुसंधान का अर्थ


• शिक्षा के क्षेत्र में नवीन 'तथ्यों' की खोज, नवीन सिद्धांतों तथा सत्यों का प्रतिपादन करना अर्थात नवीन ज्ञान की वृद्धि करना।


> शिक्षा के क्षेत्र में नवीन ज्ञान की व्यावहारिक उपयोगिता होनी चाहिए, जिससे शिक्षण अभ्यास में सुधार तथा विकास करके उसे प्रभावशाली बनाया जा सके।


● शिक्षा अनुसंधान की समस्या क्षेत्र पाठ्यक्रम प्रभाव शिक्षण विधियों इत्यादि का विकास करना।


● शिक्षा अनुसंधान की समस्या का स्वरूप इस प्रकार हो, जिसका प्रत्यक्षीकरण किया जा सके व उसकी उपयोगिता हो सके।


शैक्षिक अनुसंधान की विशेषताएं


> शैक्षिक अनुसंधान कार्य कारण संबंधों पर आधारित होता है। > यह अन्तर विषयात्मक पद्धति पर आधारित होता है।


» इसमें प्रायः निगमनात्मक तर्क पद्धति का सहारा लिया जाता है।


> शैक्षिक अनुसंधान में व्यवहृत व क्रियात्मक शोध पद्धति का प्रयोग अधिकता के साथ होता है।


★ यह शिक्षा के क्षेत्र में सुधार करता है तथा उसके विकास के लिए समस्याओं का समाधान करता है।


> यह सूझ तथा कल्पना पर आधारित होता है।


अनुसंधान की विशेषताएं


• अनुसंधान एक तार्किक प्रक्रिया है। ● अनुसंधान जानने की एक वैज्ञानिक विधि है।


अनुसंधान की प्रक्रिया से नवीन ज्ञान की वृद्धि एवं विकास किया जाता है।


इसमें सामान्य नियमों तथा सिद्धान्तों के प्रतिपादन पर बल दिया जाता है।


 शोध प्रक्रिया व्यवस्थित व सुनियोजित होती है।


इसमें वस्तुनिष्ठ तथा वैध प्रविधियों को प्रयुक्त किया जाता है।



यह शिक्षा के स्वस्थ दर्शन पर आधारित होता है।


● शैक्षिक अनुसंधान समाजशास्त्र, मनोविज्ञान, अर्थशास्त्र, राजनीतिशास्त्र व अन्य मानविकी विषयों के शोध निष्कर्षों पर आधारित होता है। इसमें उस सीमा तक शुद्धता नहीं होती है जितनी प्राकृतिक विज्ञानों संबंधी अनुसंधान में होती है।


● शैक्षिक अनुसंधान केवल विषय विशेषज्ञों द्वारा ही नहीं किया जाता शिक्षकों, शैक्षिक प्रशासकों, समुदाय सदस्यों व समाज सेवियों द्वारा भी किया जा सकता है।


• शैक्षिक अनुसंधान में इन्द्रियानुभविक विधियों का प्रयोग अधिक नहीं किया जा सकता।


● इसे यांत्रिक नहीं बनाया जा सकता।


● इस प्रकार के अनुसंधान बहुत खर्चीले नहीं होते।



शिक्षा अनुसंधान का क्षेत्र


● शिक्षक व्यवहार


छात्र व्यवहार


● शैक्षिक तकनीक


> पाठ्यक्रम निर्माण


> पाठ्यक्रम मूल्यांकन


★ शिक्षण विधियों, प्रविधियों व कौशल का विकास


> शिक्षणशास्त्र के सिद्धांतों का निर्माण व उनका मूल्यांकन।


> शैक्षिक प्रशासन सिद्धांत का निर्माण व उसका मूल्यांकन।


• विद्यालय प्रबंधन का मूल्यांकन करना व नवीन प्रणाली का विकास करना।


> अधिगम सिद्धातों का विकास व मूल्यांकन


> शिक्षा दर्शन का समस्त क्षेत्र


> शिक्षा मनोविज्ञान का समस्त क्षेत्र।


> शिक्षा समाजशास्त्र का समस्त क्षेत्र।


पर्यावरण शिक्षा, जनसंख्या शिक्षा, विशिष्ट शिक्षा, समावेशी शिक्षा, जीवन पर्यंत शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा, मुक्त व दूरस्थ शिक्षा इत्यादि ।


शिक्षा अनुसंधान का महत्व


> शिक्षा अनुसंधान से सैद्धान्तिक तथा व्यावहारिक पक्षों में वृद्धि या परिवर्तन किया जाता है तथा नवीन प्रर्वतनों का अनुशीलन भी किया जाता है।


शिक्षा अनुसंधानों के निष्कर्षो की उपयोगिता होती है। यह शिक्षा अनुसंधान की प्रमुख विशेषता है।


शिक्षा अनुसंधान से मानवीय ज्ञान में वृद्धि होती है और विकास की क्रियाओं में सुधार तथा परिवर्तन किया जाता है। मानवीय ज्ञान की तीन अवस्थाएँ होती हैं।


> ज्ञान का संचयन (Preservation of Knowledge) (पुस्तकालय द्वारा)


> ज्ञान का प्रचार एवं प्रसार (Transmission of Knowledge) (शिक्षा संस्था द्वारा)


> ज्ञान में वृद्धि (Advancement of Knowledge) (शिक्षा अनुसंधान द्वारा)


शिक्षा अनुसंधान के उद्देश्य


> सैद्धान्तिक उद्देश्य (Theoretical objective) शिक्षा अनुसंधान में वैज्ञानिक शोध कार्यों द्वारा नये सिद्धान्तों तथा नए नियमों का प्रतिपादन किया जाता है। इस प्रकार के शोध कार्यों से प्राथमिक रूप से नवीन ज्ञान की वृद्धि की जाती है, जिनका उपयोग शिक्षा की प्रक्रिया को प्रभावशाली बनाने में किया जाता है।


तथ्यात्मक उद्देश्य (Factual objective ) -


• शिक्षा के अन्तर्गत ऐतिहासिक शोध कार्यों द्वारा नए तथ्यों की खोज की जाती है। उनके आधार पर वर्तमान को समझने में सहायता मिलती है।


> इन उद्देश्यों की प्रकृति वर्णनात्मक होती है,



● सत्यात्मक उद्देश्य का निर्धारण (Formulation of true objective) -


दार्शनिक शोध कार्यों द्वारा नवीन सत्यों का प्रतिपादन किया जाता है। इनकी प्राप्ति अन्तिम प्रश्नों के उत्तरों से की जाती है ।


• दार्शनिक शोध कार्यों द्वारा शिक्षा के उद्देश्यों, सिद्धातों तथा शिक्षणविधियों तथा पाठ्यक्रम की रचना की जाती है।


● शिक्षा की प्रक्रिया के अनुभवों का चिन्तन बौद्धिक स्तर पर किया जाता है जिससे नवीन सत्यों तथा मूल्यों का प्रतिपादन किया जाता



उपयोगिता का उद्देश्य (Application objectives)


• शिक्षा अनुसंधान के निष्कर्षों का व्यावहारिक प्रयोग होना चाहिए, इन्हें विकासात्मक अनुसंधान भी कहा जाता है।


● क्रियात्मक अनुसंधान से शिक्षा की प्रक्रिया में सुधार तथा विकास किया जाता है।



शिक्षाशास्त्र एक अनुशासन के रूप में


● शिक्षा को एक स्वतंत्र अनुशासन के रूप में मानने के लिए यह आवश्यक है कि इसमें ज्ञान की प्रमुख विशेषताएं होनी चाहिए। मानव ज्ञान की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित


● मानव ज्ञान का संचयन (Preservation of Human Knowledge)


● मानव ज्ञान का प्रसार (Transmission of Human Knowledge)


• मानव ज्ञान में वृद्धि (Advancement of Human Knowledge) यह सभी विशेषताएं शिक्षाशास्त्र में मौजूद हैं जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि शिक्षा एक स्वतंत्र अनुशासन है जैसे- दर्शन, समाजशास्त्र, मनोविज्ञान, धर्म विज्ञान, राजनीतिशास्त्र है। इसके अतिरिक्त अब शिक्षा ने अपने ज्ञान के विशिष्ट क्षेत्रों का विकास किया है जिनके फलस्वरूप हमें कई नवीन ज्ञान-विज्ञान मिले हैं, जैसे शैक्षिक मनोविज्ञान, शैक्षिक मापन एवं मूल्यांकन, पाठ्यक्रम विकास, अध्यापक शिक्षा, शैक्षिक निर्देशन, शैक्षिक प्रशासन, शिक्षण तकनीकी, अभिक्रमित अनुदेशन आदि।