पाठ्यचर्या निर्माण की प्रक्रिया - Curriculum process

Curriculum process

 पाठ्यचर्या निर्माण की प्रक्रिया - Curriculum process


● सर्वप्रथम ध्यान देना होगा कि पाठयचर्या का निर्माण किस कक्षा के लिए किया जा रहा है।


जिस स्तर के बालकों के लिए पाठ्यचर्या का निर्माण किया जाना है, उनका पूर्व ज्ञान का स्तर क्या है ?


• पाठ्यचर्या को ज्ञानात्मक, भावात्मक क्रियात्मक पक्षों में बांटकर निर्धारण किया जाना चाहिए।


• छात्रों की वर्तमान आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर मनोवैज्ञानिक स्तर पर ध्यान दिया जाना चाहिए।


• समाज, संस्कृति, सभ्यता, राष्ट्रीयता एवं अंतर्राष्ट्रीयता की भावना को


ध्यान में रखकर पाठ्यचर्या निर्माण की प्रक्रिया की जानी चाहिए।


• पाठ्यचर्या के निर्माण में विविध सिद्धान्तों एवं शिक्षा के उद्देश्यों को ध्यान में रखकर कार्य किया जाना चाहिए।


● पाठ्यचर्या की प्रक्रिया में तथ्यों, प्रसंगों एवं विचारकों के मतों का वर्णन करना चाहिए।


• पाठ्यचर्या के निर्माण में वैधता, विश्वसनीयता, मानकीकरण का निर्धारण शैक्षिक उद्देश्यों के अनुरूप होना चाहिए।


शिक्षक के लिए शिक्षण संकेत का निर्माण करना।


• बालक के सर्वांगीण विकास के लिए पाठ्यचर्या में पर्याप्त क्रियाओं को स्थान दिलाने के लिए मूल्यांकन पद्धति को अपनाना चाहिए।



• छात्र को सैद्धान्तिक रूप के साथ व्यावहारिक रूप में भी पाठ्यचर्या बताई जानी चाहिए।


• हमें बालक के सर्वांगीण विकास हेतु पाठ्यचर्या निर्माण प्रक्रिया में में सहयोगात्मक दृष्टि को ध्यान में रखकर कार्य करना चाहिए।


• पाठ्यचर्या निर्माण की प्रक्रिया सरल होनी चाहिए। पाठ्यचर्या निर्माण प्रक्रिया के उपरान्त ही पाठयचर्या अपने वास्तविक स्वरूप को धारण करती है।