सामाजिक कार्य अनुसंधान रिपोर्ट का प्रारूप - Format of Social Work Research Report
सामाजिक कार्य अनुसंधान रिपोर्ट का प्रारूप - Format of Social Work Research Report
1. प्रस्तावना
यह रिपोर्ट का प्रारम्भिक भाग होता है। इसमें विषय से संबंधित तथ्यों के बारे में विवरण दिया जाता है।
प्रस्तावना का उद्देश्य पाठक को संबंधित विषय के बारे में सामान्य जानकारी उपलब्ध कराना होता है। प्रस्तावना में निम्नलिखित बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है -
• शोध का विचार और इसकी उत्पत्ति
• शोध की योजना
• शोध का महत्व
• शोध सम्पन्न कराने वाली संस्था के बारे में विवरण
• शोध में संलग्न व्यक्तियों के बारे में विवरण
• कार्यकर्ताओं का निरीक्षण और उनका परीक्षण
• तथ्यों की वैधता और विश्वसनीयता का आधार
• प्रारम्भिक परिचयात्मक तथ्यों का विवरण
• शोध में लगने वाले समय और श्रम का विवरण
• शोध में आने वाली कठिनाईयों का विवरण
• सहयोगी व्यक्तियों और संस्थानों के बारे में विवरण और उनका आभार
2. समस्यायीकरण अथवा समस्या का विवरण
शोध समस्या के बारे में उल्लेख करने हेतु निम्नलिखित बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है -
• समस्या की पृष्ठभूमि
• शोध की आवश्यकता
• समस्या और चयन का आधार
• शोध की व्यावहारिक उपयोगिता
• संबंधित समस्या के संदर्भ में हुए अन्य अध्ययनों का विवरण
3. उद्देश्य
रिपोर्ट तैयार करने के दौरान इस बात पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है कि शोध का उद्देश्य क्या है?, शोध की क्या व्यावहारिक उपयोगिता होगी?, शोध मानव जाति के ज्ञान को संवर्धित करने में कहाँ तक मदद करेगा? शोध के आधार पर विद्यमान सिद्धांतों की जांच किस प्रकार से की जा सकेगी? आदि।
4. विषय
रिपोर्ट तैयार करते समय शोध के विषय पर ध्यान देना चाहिए। इस विषय के चयन के पीछे शोधकर्ता का क्या तर्क है? इस बारे में भी विवरण देना चाहिए। इसके अलावा विषय को स्पष्ट रूप में परिभाषित भी करना चाहिए। इस प्रकार से पूरे शोध की स्पष्टता बनी रहती है और साथ ही विषय के संज्ञान के बारे में भ्रांतियाँ नहीं रहती हैं।
5. अध्ययन क्षेत्र
रिपोर्ट में इस बात को दर्ज कर देना चाहिए कि शोध का अध्ययन क्षेत्र क्या है? इस अध्ययन की सीमा क्या है ? इस प्रकार से विषय के बारे में पाठक की समझ और भी सटीक हो जाती है।
6. प्रविधि
सामाजिक शोध वैज्ञानिक प्रविधियों और तकनीकों से संचालित प्रक्रिया होती है। इसमें अनेक प्रविधियों और तकनीकों की सहायता ली जाती है। रिपोर्ट तैयार करते समय शोधकर्ता को यह भी अंकित करने की आवश्यकता होती है कि उसने शोध में किस प्रविधि अथवा तकनीक का प्रयोग किया है? इसके अलावा उसे यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि उसने प्रविधि का प्रयोग किस आधार पर किया है? प्रविधि के प्रयोग के पीछे उसका वैज्ञानिक तर्क क्या है?
7. निदर्शन
समय और धन की बचत की दृष्टि से शोध में निदर्शन प्रविधि का विकास हुआ है। इसमें शोधकर्ता समग्र का अध्ययन करने के स्थान पर किसी स्थान विशेष अथवा समूह विशेष से तथ्यों का संकलन करता है। रिपोर्ट तैयार करने के समय इस बात का उल्लेख किया जाना चाहिए कि तथ्यों के संकलन हेतु निदर्शन का प्रयोग क्यों किया गया? साथ ही यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि किस निदर्शन का प्रयोग किया गया और क्यों?
8. कार्यकर्ताओं का संगठन
बिना कार्यकर्ताओं के संगठन के किसी भी कार्य को कर पाना बहुत मुश्किल होता है। सामाजिक शोध के प्रारूप को बनाना, सर्वेक्षण करना, तथ्यों के संकलन व सम्पादन आदि कार्यों के लिए कार्यकर्ताओं के संगठन की आवश्यकता होती है। रिपोर्ट में यह लिपिबद्ध किया जाना चाहिए कि शोध कार्य को संगठन द्वारा किस प्रकार सम्पन्न किया गया? इस प्रकार से शोध कार्य के आरंभ से लेकर अंत तक के सम्पूर्ण विवरण को प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
9. तथ्यों का विश्लेषण
रिपोर्ट लेखन में इस भाग पर विशिष्ट ध्यान आकृष्ट करने की आवश्यकता होती है। इसमें अध्ययन क्षेत्र से प्राप्त सभी तथ्यों का विश्लेषण और विवेचन प्रस्तुत किया जाता है। इस विश्लेषण को यथा-प्रयास सरल, बोधगम्य और सटीक ढंग से व्यक्त किया जाना चाहिए। इसके अलावा आवश्यकता पड़ने पर सांख्यिकीय तथ्यों का प्रस्तुतीकरण भी करना चाहिए। इसके अलावा तथ्यों के संदर्भ स्रोत को भी पाद टिप्पणी (फूटनोट) के रूप में स्पष्ट किया जाता है।
10. परिशिष्ठ
रिपोर्ट के अंतिम भाग में सामग्री को संलग्न किया जाता है (यदि आवश्यक हो तो) इसमें निम्नलिखित सामग्री को संलग्न किया जाता है -
• अनुसूची प्रश्नावली की प्रति
• पारिभाषिक शब्द और उनका विवेचन
• लेख और विवरण की प्रति
11. तथ्यों की विशिष्टता
रिपोर्ट जितनी ही रुचिकर होगी पाठकों के ध्यान को उतना ही अधिक आकृष्ट करेगी। तथ्यों को अच्छी तरह से स्पष्ट किया जाना चाहिए। रिपोर्ट लेखन में तथ्यों की व्याख्या दो प्रकार से की जा सकती है पहली, रिपोर्ट में एक-साथ ही सभी आवश्यक तथ्यों की व्याख्या कर दी जाय और दूसरी प्रत्येक अध्याय के अंत में आवश्यक तथ्यों का वर्णन प्रस्तुत कर दिया जाय।
12. सुझाव
यदि शोध व्यावहारिक प्रकृति का हो और शोध समस्या अथवा शोध के उद्देश्य का निवारण प्रस्तुत करना हो तो रिपोर्ट के अंत में कुछ सुझावों को अवश्य ही प्रस्तावित किया जाना चाहिए । यहाँ यह ध्यान देने की बात है कि वे सुझाव तार्किक व व्यावहारिक होने चाहिए।
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