सांख्यिकी की सीमाएं - limits of statistics

सांख्यिकी की सीमाएं - limits of statistics

सांख्यिकी की सीमाएं - limits of statistics


सांख्यिकी की उपयोगिता होने के बावजूद इसकी कुछ सीमाएं भी हैं जो इस प्रकार हैं -


• केवल संख्यात्मक तथ्यों के अध्ययन तक सीमित


सांख्यिकी का यह प्रमुख और पहला दोष है कि यह केवल मात्रात्मक अथवा संख्यात्मक तथ्यों के अध्ययन तक ही सीमित होता है। इसका उपयोग केवल उन्हीं दशाओं में किया जा सकता है जिनमें समस्याओं अथवा घटनाओं के पहलुओं को संख्याओं अथवा अंकों में प्रस्तुत किया जा सकता है।


• केवल समूहों का अध्ययन


सांख्यिकी केवल समूहों की विशेषताओं को व्यक्तकरने में सक्षम है। यह व्यक्तिगत इकाईयों के अध्ययन कर पाने में असमर्थ है। विद्वान किंग कहते हैं कि सांख्यिकी अपने विषय की प्रकृति के कारण ही व्यक्तिगत इकाईयों पर विचार नहीं कर सकती और ना ही वह कभी करेगी। 


• तथ्यों में सजातीयता


सांख्यिकीय पद्धतियों के प्रयोग से केवल सजातीय तथ्यों, सूचनाओं अथवा आंकड़ों की तुलना संभव है। यदि तथ्य सजातीय अथवा एकरूप हैं सांख्यिकीय पद्धति का प्रयोग कर पाना संभव रूप नहीं तो सांखि नहीं है।










• समस्या के अध्ययन का साधन मात्र


सांख्यिकी केवल विविध तथ्यों के सह-संबंधों और तुलनात्मक अध्ययन के आधार पर समस्या के बारे में जानकारी उपलब्ध कराती है, वह समस्या का समाधान प्रस्तावित कर पाने में सक्षम नहीं है।


• संदर्भहीन सांख्यिकीय परिणाम दोषपूर्ण


सांख्यिकीय परिणामों को समग्रता और सूक्ष्मता से समझने के लिए यह आवश्यक है कि व्यक्ति को उन परिस्थितियों के बारे में भी संज्ञान हो जिन परिस्थितियों में तथ्यों का संकलन किया गया था। यदि संदर्भ स्पष्ट और सटीक नहीं है तो निष्कर्ष भ्रामक और दोषपूर्ण हो सकते हैं।


• दुरुपयोग


सांख्यिकीय पद्धतियों का प्रयोग केवल योग्य और अनुभवीव्यक्तियों द्वारा किया जा सकता है क्योंकि जिन व्यक्तियों को इसके संदर्भ में पर्याप्त ज्ञान और अनुभव नहीं है वे इसका दुरुपयोग कर सकते हैं। यूल और केंडाल के शब्दों में, "अयोग्य व्यक्ति के हाथों में सांख्यिकीय विधियाँ सबसे भयानक हथियार हैं। "