समाज कार्य शोध में तथ्य विश्लेषण की प्रक्रिया - Process of Data Analysis in Social Work Research
समाज कार्य शोध में तथ्य विश्लेषण की प्रक्रिया - Process of Data Analysis in Social Work Research
तथ्यों के विश्लेषण हेतु शोधकर्ता को एक प्रक्रिया का अनुशीलनपालन करना पड़ता है। पी. वी. यंग द्वारा तथ्यों के विश्लेषण की प्रक्रिया का क्रम कुछ इस प्रकार प्रस्तुत किया है -
1. तथ्यों की माप
इसका अभिप्राय तथ्यों की पुनर्परीक्षा करने से है। चूंकि तथ्यों के विश्लेषण का प्रमुख प्रयोजन संकलित किए गए तथ्यों को अर्थपूर्ण स्वरूप प्रदान कर निष्कर्ष हेतु उपयोगी बनाना होता है।
शोधकर्ता को निम्नलिखित बिन्दुओं की तलाश करने की आवश्यकता होती है -
• संकलित तथ्य पर्याप्त वैषयिक व अपनी परिस्थिति के वास्तविक प्रतिनिधि हैं अथवा नहीं।
• तथ्यों का परीक्षण और पुनर्परीक्षण संभव है अथवा नहीं।
• तथ्यों को वस्तुनिष्ठ स्वरूप प्रदान किया जा सकता है अथवा नहीं।
• तथ्य माप के योग्य हैं अथवा नहीं।
• वे क्रमबद्धता सिद्धान्त के लिए महत्वपूर्ण हैं अथवा नहीं।
• इनकी सहायता से एक सामान्यीकृत निष्कर्ष को प्रतिपादित किया जा सकता है अथवा नहीं।
2. रूपरेखा का निर्माण
रूपरेखा अध्ययन की एक संरचना होती है जिस पर सम्पूर्ण अध्ययन आधारित होता है। रूपरेखा को तैयार करने की दृष्टि से आवश्यक है कि तथ्यों के बारे में गहनता से संज्ञान कर लिया जाए। विस्तृत विश्लेषण के लिए यह नितांत आवश्यक है कि संकलित तथ्यों में से अधिक तथ्यों को फिर से दोहरा लिया जाए, जिससे कि अध्ययन की सम्पूर्ण परिस्थिति व दशा का सटीक ज्ञान प्राप्त हो जाए। साथ ही निम्नलिखित बिन्दुओं पर ध्यान आकृष्ट करने की भी आवश्यकता है -
• वे कौन-सी महत्वपूर्ण परिस्थितियाँ हैं जिनके बारे में संज्ञान इन तथ्यों की सहायता से होता है?
• संकलित तथ्यों में कौन-सी उल्लेखनीय समानताएँ और भिन्नताएँ निहित हैं ?
• तथ्य किन सामाजिक प्रक्रियाओं की ओर इंगित करते हैं।
• संकलित तथ्य किस प्रकार के अनुक्रम को प्रस्तुत करते हैं?
• इन परिस्थितियों में किस प्रकार के कार्य-कारण संबंध स्पष्ट होते हैं?
• इन तथ्यों से किस प्रकार के निष्कर्ष प्रतिपादित किए जा सकते हैं?
3. तथ्यों का व्यवस्थित वर्गीकरण
एक मार्गदर्शक के रूप में संकलित तथ्यों की रूपरेखा के निर्माण कर लेने के पश्चात उसके व्यवस्थित वर्गीकरण की आवश्यकता होती है। तथ्यों के वर्गीकरण के पश्चात यथार्थ ज्ञान स्पष्ट होने लगता है। सामाजिक विज्ञानों में वर्गीकरण की प्रक्रिया बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसका एक कारण यह भी है कि सामाजिक घटनाएँ अथवा समस्याएँ कई कारकों से प्रभावित होती हैं तथा उनमें अनेक विविधताएँ भी पायी जाती हैं। तथ्यों के वर्गीकरण के पश्चात सभी कारक स्पष्ट तौर पर उभरकर सामने परिलक्षित होने लगते हैं।
4. अवधारणाओं का निर्माण
सम्पूर्ण परिस्थिति अथवा दशा की अवधारणात्मक व्याख्या करने के उद्देश्य से तथ्यों के वर्गीकरण के पश्चात अवधारणाओं का निर्माण आवश्यक हो जाता है। अवधारणात्मक भाषा के प्रयोग से सम्पूर्ण परिस्थिति को कम ही शब्दों में अभिव्यक्त किए जाने का लाभ मिलता है। विभिन्न विद्वानों द्वारा अवधारणाओं के निर्माण हेतु प्रमुख रूप सेचार कसौटियाँ प्रस्तुत की गई हैं -
• शब्द सटीक होने चाहिए। साथ ही शब्द का परिस्थितियों अथवा दशाओं के अनुरूप स्पष्ट और सटीक अर्थ प्रकट होना चाहिए।
• वह शब्द परिणाम विचार अथवा अंतिम विचार को प्रकट करता हो
• शब्द इतना सामान्य होना चाहिए कि सम्पूर्ण अध्ययन में जहां कहीं भी उस शब्द का प्रयोग किया गया हो, वह प्रत्येक स्थान पर एक ही अर्थ को स्पष्ट करता हो ।
• उसके द्वारा प्रस्तुत किए गए विचार बुनियादी तौर पर अपने विशिष्ट क्षेत्र में महत्वपूर्ण होने चाहिए।
5. तुलना और व्याख्या
संकलित तथ्यों के वर्गीकरण और अवधारणाओं के निर्माण पश्चात तथ्यों में काफी स्पष्टता हो जाती है तथा उनके प्रतिमान भी प्रत्यक्ष रूप से प्रतीत होने लगते हैं। इन प्रतिमानों की तुलना करना एक शोधकर्ता के लिए सरल व संभव हो जाता है। किसी वैज्ञानिक शोध में वैध निष्कर्ष के लिए तुलनात्मक विश्लेषण नितांत आवश्यक होता है। इससे न केवल विभिन्न तथ्यों परिस्थितियों अथवा दशाओं का स्पष्ट और सटीक ज्ञानप्राप्त होता है अपितु उनका तुलनात्मक महत्व भी उजागर होता है।
6. सिद्धांतों का प्रतिपादन
यह विश्लेषण का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण चरण होता है। यह शोध का सार तत्व माना जाता है, इसलिए यह जितना स्पष्ट और यथार्थ हो शोध उतना ही बेहतर माना जाता है। वास्तव में, सिद्धान्त तथ्यों के आधार पर प्राप्त निष्कर्षों के अति सूक्ष्म रूप होते हैं। सिद्धान्त को लिखते समय उन शब्दों का चयन किया जाना चाहिए, जिनका अर्थ सभी लोगों के लिए समान अर्थ के रूप में उभरकर आए। इसके अलावा सिद्धान्त, जिसे प्रतिपादित करना हो, इस प्रकार का होना चाहिए जिसके विश्लेषण से सम्पूर्ण अध्ययन क्षेत्र और मूल निष्कर्ष स्पष्ट हो जाए।
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