गुलाम वंश: कुतुबुद्दीन ऐबक, इल्तुतमिश, रजिया तथा बलवन - Slave Dynasty: Qutubuddin Aibak, Iltutmish, Razia and Balvan

Slave Dynasty: Qutubuddin Aibak, Iltutmish, Razia and Balvan

गुलाम वंश: कुतुबुद्दीन ऐबक, इल्तुतमिश, रजिया तथा बलवन - Slave Dynasty: Qutubuddin Aibak, Iltutmish, Razia and Balvan


तथाकथित गुलाम वंश के शासकों ने 13 वीं शताब्दी में उत्तर भारत में मुस्लिम शासन को स्थायित्व प्रदान करने में आंशिक सफलता अवश्य प्राप्त की किन्तु प्रशासनिक दृष्टि से उनकी उपलब्धियां बहुत सीमित रहीं। इस काल में आन्तरिक विद्रोह तथा वाह्य आक्रमणों की समस्या निरन्तर बनी रही। इस काल में शासकों ने प्रजा के हित में कार्य करने का कोई उल्लेखनीय प्रयास नहीं किया और न ही प्रशासनिक ढांचे को सुदृढ़ करने में कोई सफलता प्राप्त की, उनको प्रजा के हृदय पर राज करने में तनिक भी सफलता नहीं मिली और उनका अस्तित्व केवल तलवार के बल पर बना रह सका। इस इकाई का उद्देश्य आपकों को भारत में मुस्लिम शासन काल के प्रारम्भिक चरण की चुनौतियों, इस काल के प्रमुख शासकों की उपलब्धियों तथा उनकी असफलताओं से परिचित कराना है। इस इकाई के अध्ययन के उपरांत आप अग्रांकित के विषय में जानकारी प्राप्त कर सकेंगे

 



1- तथाकथित गुलाम वंश के प्रमुख शासकों के समक्ष कठिनाइयां तथा उनका निराकरण करने हेतु उनके प्रयास।

2 भारत में मुस्लिम शासन के प्रारम्भिक चरण का प्रशासनिक ढांचा।

दिल्ली सल्तनत के प्रारम्भिक चरण में तीन राज्य वंशों के संस्थापक अपने प्रारम्भिक जीवन में गुलाम रह चुके थे इसलिए भ्रमवश इन तीन राज्य वंशों को एक साथ मिलाकर प्रायः गुलाम वंश के नाम से जाना जाता है। तथाकथित गुलाम कुतबुद्दीन ऐबक, इल्तुतमिश, रज़िया तथा बलबन थे। इनमें सबसे अधिक योग्य तथा वंश के प्रमुख शासक शक्तिशाली इल्तुतमिश तथा बलबन थे। दिल्ली सल्तनत का वास्तविक संस्थापक इल्तुतमिश को माना जाता है। इल्तुतमिश ने दिल्ली के सुल्तान के पद को वैधानिक मान्यता दिलाई तथा वंशानुगत शासन का प्रारम्भ किया। उसने राज्य को एक ठोस प्रशासनिक ढांचा भी दिया। अपनी योग्यता के बावजूद रज़िया उसके पतन का मुख्य कारण बना। बलबन तथाकथित गुलाम वंश का सबसे शक्ति सुल्तान का स्त्री होना एवं सफल शासक था, उसने लौह एवं रक्त की नीति को अपना कर अपने राज्य को सुदृढ़ किया। उसने मंगोल आक्रमणों को विफल किया। उसने अपने राज्य में शान्ति एवं व्यवस्था स्थापित करने में सफलता प्राप्त की। उसने राजत्व के दैविक सिद्धान्त का पोषण कर सुल्तान के पद और उसकी प्रतिष्ठा में अपार वृद्धि की और शासक के अधिकार व उसके कर्तव्य को एक नया आयाम प्रदान किया।

-  सुल्तान के रूप में कुतबुद्दीन ऐबक का इतिहास - History of Qutbuddin Aibak as Sultan

सुल्तान इल्तुतमिश का इतिहास - History of Sultan Iltutmish

सुल्तान रज़िया का इतिहास - History of Sultan Razia

-  सुल्तान बलबन का इतिहास - History of Sultan Balban