सामाजिक एवं सतत विकास - social and sustainable development

सामाजिक एवं सतत विकास - social and sustainable development

सामाजिक एवं सतत विकास - social and sustainable development

विभिन्न देशों में जब से नियोजित आर्थिक परिवर्तन की प्रक्रिया की शुरूआत की गई है तब से समाज में होने वाले इन सामाजिक परिवर्तनों के मूल्यांकन की भी आवश्यकता महसूस की गई कि इनका प्रभाव कितना और कैसा है? समूह के आकार में वृद्धि अर्थव्यवस्था में परिवर्तन, अस्थिर जीवन में स्थिर जीवन का प्रारंभ, सामाजिक संरचना में रूपांतरण, धार्मिक विश्वासों एवं क्रियाओं का महत्व विज्ञान का विकास, नवीन दर्शन आदि इन सामाजिक परिवर्तनों से संबंधित है। प्राचीन काल से वर्तमान समय तक समाज के लगभग हर एक पहलू में परिवर्तन हुआ। यह बात प्राचीन काल के आदिम और आधुनिक दोनों ही समाजों के लिए समान रूप से लागू होती है। दुनिया में पूँजीवादी औद्योगीकरण की संक्रमण प्रक्रिया से गुजर रहे देशों के विश्लेषण के लिए सामाजिक सिद्धान्तों का प्रयोग ही सामाजिक विकास है।





विकास एक सामाजिक प्रक्रिया है जो ऐसे परिवर्तनों को लक्षित करती है जो प्रगति की ओर उन्मुख रहते हैं। सामाजिक विकास का संबंध आर्थिक पहलू से है लेकिन आर्थिक पहलू के साथ-साथ यह सामाजिक संस्थाओं तथा सांस्कृतिक तत्वों से भी संबंधित होता है। अगर हम सतत विकास की बात करे तो सतत विकास एक ऐसी प्रक्रिया है जो न केवल प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण पर बल देती है, बल्कि उन संसाधनों की बर्बादी पर भी रोक लगाती है। साथ ही सतत विकास एक ऐसी आवश्यकता है जो मात्र कुछ लोगों के लिए नहीं बल्कि सम्पूर्ण लोगों के लिए है। मानव जीवन में अनेक आवश्यकताएँ होती है। इन आवश्यकताओं की पूर्ति उपलब्धसंसाधनों में सामान्यत: वनस्पति, पेड़, पौधे, जंगल, खनिज, खाद्यान्न इत्यादि कुछ भी हो सकते है। समाज के विकास के प्रारंभिक दौर में, जनसंख्या की अपेक्षा संसाधनों की अधिकता थी। किन्तु वर्तमान समय में स्थिति बिल्कुल विपरीत हो गयी है। जिसका कारण जनसंख्या का तेजी से बढ़ना है। जनसंख्या जिस अनुपात में बढ़ी उस अनुपात में संसाधनों में कोई वृद्धि नहीं हुई। इस संबंध में विकासशील देशों की स्थिति अत्यंत गंभीर है। भारत जैसे देश में जहाँ जनसंख्या तीव्र गति से बढ़ रही है वहीं उस अनुपात में संसाधनों में वृद्धि नहीं हो रही है। इसके परिणाम स्वरूप लोगों को विभिन्न समस्याओं जैसे पानी की समस्या, प्रदूषण की समस्या ग्लोबल वार्मिंग, गरीबी, बेरोजगारी, वेश्यावृत्ति, भिक्षावृत्ति, भूखमरी इत्यादि का सामना करना पड़ रहा है। जल संकट से आज पूरा देश जूझ रहा है।