मानव विकास - Human development
मानव विकास - Human development
मानव विकास की अवधारणा की शुरुआत एडम स्मिथ, रिकाड, माल्थस, मिल आदि समाजवैज्ञानिकों के लेखन में देखने को मिलती है और समय के साथ-साथ आय वृद्धि पर अधिक फोकस करने के कारण विकास का मानवीय दृष्टिकोण धीरे-धीर गौण होता चला गया। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा प्रस्तुत की गई मानव विकास रिपोर्ट 1990 के तहत इस संकल्पना को नवीन तरीके से प्रस्तुत किया गया है। यह माना गया कि विकास हेतु यह आवश्यक नहीं कि वह आर्थिक संवृद्धि यथार्थपरक व धरातलीय ही हो। मानव विकास का संप्रत्यय संपूर्ण मानव कल्याण से जुड़ा है। यह विशेषकर विकास के मानवीय पक्ष से संबंधित है।
संयुक्त राष्ट्रविकास प्रतिवेदन 1990 के अनुसार श्रीलंका थाईलैंड आदि देशों का मानव विकास पैमाने पर प्रदर्शन उनके आय के स्तर की अपेक्षा में अधिक उत्कृष्ट है इसके विपरीत सऊदी अरब, ओमान, अल्जीरिया आदि देशों में आप स्तर से अपेक्षाकृत नीचे मानव विकास पैमाना है और भारत, पाकिस्तान, चीन लगभग समान सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) पर काबिज हैं। चीन का मानव विकास स्तर अन्य दो देशों भारत और पाकिस्तान की तुलना में कहीं बेहतर है। महबूब उल हक के अनुसार, "आर्थिक संवृद्धि और मानव विकास की विचारधारा में परिभाषात्मक अंतर यह है कि जहाँ आर्थिक संवृद्धि में केवल आय (एक विकल्प) पर ध्यान आकृष्ट किया जाता है.
परंतु मानव विकास में सभी मानवीय विकास के विकल्प को समाहित किया जाता है।" संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की 15वीं मानव विकास रिपोर्ट जो 15 जुलाई 2014 को प्रकाशिक की गई, में यह प्रस्तुत किया गया है कि मानव विकास से आशय जीवन प्रत्याशा संतोषजनक साक्षरता और प्रतिव्यक्ति आय के उचित अनुपात से है। इस रिपोर्ट में विभिन्न राज्यों को मानव विकास के आधार पर रैंक दिया गया है।
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