सामाजिक समस्या: संकल्पना और अर्थ - Social Problem: Concept and Meaning

सामाजिक समस्या: संकल्पना और अर्थ - Social Problem: Concept and Meaning

सामाजिक समस्याएँ मूल रूप से वे दशाएँ उत्पन्न करती हैं, जिनसे मानवीय जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता। है और सामाजिक आदर्श रूप में इसे विचलन के रूप में माना जाता है। सामाजिक समस्याओं के निवारण के लिए मानव को सामूहिक रूप से प्रयत्न करना आवश्यक होता है। समस्याएँ मूल रूप से दो प्रकार की होती हैं, पहली, व्यक्तिगत समस्याएं, जो किसी व्यक्ति अथवा किसी समाज विशेष से संबंधित होती है. तथा उन्हें प्रभावित करती है और दूसरी सामाजिक समस्याएं, जो पूरे समाज से संबंधित होती है तथा उसका प्रभाव संपूर्ण समाज पर परिलक्षित होता है। एक कार्यकर्ता का लक्ष्य यह होता है कि वह इन बातों के बारे में जानकारी प्राप्त करे कि सामाज की सरचनाओं व उसकी कार्यप्रणालियों में किस प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न होती हैं और मानवीय जीवन पर उसका क्या प्रभाव पड़ता है। वह इन समस्याओं के समाधान हेतु प्रयासरत रहता है और इस तथ्य पर विचार करता है कि सामाजिक संरचनाओं को किस प्रकार से पुनर्गठित किया जा सके और समाज को किस प्रकार से पुनः संरचित किया जा सके।

जब सामाजिक शब्द का प्रयोग किया जाता है, तो इसका प्रत्यक्ष आशय मानवीय संबंधों संरचना ढाँचा, संगठन आदि से लगाया जाता है। वहीं समस्या एक प्रकार का अनुचित व्यवहार अथवा विचलन है जो सामाजिक व्यवस्था को तोड़ने का काम करती है। यदि सामाजिक समस्या को सम्मिलित रूप से व्याख्यापित किया जाए, तो मानवीय संबंधों सामाजिक संरचना व सामाजिक संगठनों को विघटित करने वाली समस्याएं ही सामाजिक समस्याएं हैं। ये समस्याएँ सामाजिक जीवन को बुरी तरह से प्रभावित करती हैं और इसके कारण मानवीय जीवन भी उथल-पुथल की स्थिति से गुञ्जने लगता है। सामाजिक समस्याओं से संबंधित कुछ विद्वानों द्वारा प्रस्तुत की गई परिभाषाएँ निम्न हैं


राव एवं सेलजनिक "यह मानवीय संबंधों की वह समस्या है जो स्वयं समाज को गंभीर चुनौती देती है अथवा अनेक लोगों की महत्वपूर्ण आकांक्षाओं में अड़चन पैदा करती है। 


● मर्टन एवं निस्वेट सामाजिक समस्या व्यवहार का वह पक्ष है, जो कि सामाजिक व्यवस्था के अधिकांश भाग द्वारा सामान्य रूप से स्वीकृत अथवा अनुमोदित आदशों के उल्लंघन के रूप में जाना जाता है। 


• रेनहार्ट- सामाजिक समस्या वह स्थिति है, जिससे समाज का एक खंड अथवा एक बड़ा भाग


प्रभावित होता है और जिसके ऐसे निकारक परिणाम हो सकते हैं अथवा होते हैं, जिनका समाधान समूहिक रूप से है।"


• ग्रीन सामाजिक समस्या ऐसी परिस्थितियों का समुच्य है जिसे समाज में बहुसंख्यक व पर्याप्त अल्पसंख्यक द्वारा नैतिकतया अनुचित समझा जा सकता है।"


• क्लेरेन्स मार्शल सामाजिक समस्या ऐसी परिस्थिति को इंगित करती है जो समाज के सुयोग्य पर्यवेक्षको अवलोकनकर्ताओं की एक बड़ी संख्या को अपनी ओर आकृष्ट करती है और उनसे अनुरोध व अपील करती है कि वे उसका पुनर्व्यवस्थापन कर अथवा किसी-न-किसी प्रकार की सामूहिक कार्यवाही से उसे व्यवस्थित या ठीक करें।"


• होर्टन एवं लेस्ले सामाजिक समस्या एक ऐसी स्थिति है, जो बहुत से लोगों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करती है तथा जिसका समाधान सामूहिक सामाजिक क्रिया से ही किया जा सकता।



• हर्बर्ट ब्लूमर सामाजिक समस्याओं में वे कर्म अथवा व्यवहार के सरूप शामिल हैं, जिन्हें


बड़ी संख्या में लोग समाज के प्रति खतरनाक मानते हैं अथवा सामाजिक प्रतिमानों का उल्लंघन समझते हैं और जिन्हें सुधारना वे भवानी मानते हैं।" • फुलर और मेयर्स- जब समाज के अधिकांश सदस्य किसी विशिष्ट दशा और व्यवहार प्रतिमानों की अति आपत्तिजनक मान लेते हैं, तब उसे सामाजिक समस्याओं की संज्ञा दी जाती है।


• कार सामाजिक समस्या तब उत्पन्न होती है, जब लोग किसी कठिनाई के प्रति सचेत हो जाते


है, जब लोगों की अभिरुचियों और यथार्थता के मध्य खाई आ जाती है।" उक्त वर्णित परिभाषाओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि सामाजिक समस्या एक दशा है जो समाज की व्यवस्था और उसके अस्तित्व को झकझोर कर रख देती है। यह वह सामाजिक जीवन में उत्पन्न होने वाली दशा है, जिसके लिए संपूर्ण समाज चिंतित रहता है। परिभाषाओं के आधार पर


सामाजिक समस्याओं के मूल रूप से तीन तत्व उभरकर सामने आते हैं जो निम्न है 


1. यह समाज के अधिकांश सदस्यों से संबंधित होती है।


2. यह समाज के लिए तनावपूर्ण अथवा बाध्यकारी दशाएँ उत्पन्न करती है। इसे बर्नार्ड द्वारा तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है.


तनाव कारक, पे कारक किसी सामाजिक मूल्य के लिए चुनौती उत्पन्न करते हैं।


• सामाजिक मूल्य कारकों के आधार पर इन्हें चुनौती दी जाती है।


• चुनौती के प्रति व्यक्ति अथवा संपूर्ण समाज की तीव्र प्रतिक्रियाएँ अर्थात समाज के कल्याण व संगठन की व्यवस्था के नष्ट हो जाने का भय अथवा आशंका की स्थिति 


3. सामूहिक सामाजिक क्रियाएं जो सामाजिक समस्याओं के समाधान के सामूहिक प्रयत्न पर आधारित होती है।


मोटे तौर पर सामाजिक समस्याएँ वे परिस्थितियाँ हैं, जो समाज के लिए विचलित व्यवहार के रूप में मानी जाती है। समाज का एक बड़ा भाग उसके कारण तनावपूर्ण स्थिति में रहता है और इनका समाधान सामूहिक प्रयत्नों से किया जा सकता है। भारत में निर्धनता, बेरोजगारी, सांप्रदायिकता, मद्यपान भ्रष्टाचार, अपराध आदि प्रमुख सामाजिक समस्याएं हैं, जिनके बारे में इस इकाई में आगे चर्चा की जाएगी