विनियोग को प्रभावित करने वाले कारक - factors affecting investment

विनियोग को प्रभावित करने वाले कारक - factors affecting investment


विनियोग की लाभप्रदता स्थायी संपत्तियों में विनियोग का एक महत्वपूर्ण कारका होता है। इसके अतिरिक्त अन्य कारक भी स्थायी संपत्तियों में विनियोग को प्रभावित कर सकते हैं। ये अन्य कारक निम्नलिखित हैं-


क. किसी भी कंपनी द्वारा विनियोग अपनी क्षमता के अंदर ही किया जाना चाहिए क्योंकि क्षमता से अधिक विनियोग सदैव हानिकारक हो सकता है। अत: प्रत्येक कुशल प्रबंधक संस्था की आर्थिक स्थिति के अनुकूल ही स्थायी संपत्तियों में विनियोग करता है। यदि किसी उपक्रम के पास पर्याप्त धन है तो ऐसी स्थायी संपत्तियों में इसे विनियोजित किया जाए जिनके प्रत्याय की दर अधिकतम हो और लागत कम हो। यदि कोष बेकार पड़े हैं तो उनका विनियोग स्थायी संपत्तियों में करना लाभप्रद सिद्ध हो सकता है

परन्तु ऐसा करने से पूर्व यह ध्यान रखना होगा कि इनका प्रयोग अन्यत्र करने से लाभ की मात्रा कितनी प्राप्त हो सकती है। यदि अन्यत्र विनियोग करने से अधिक लाभ की संभावना हो तो इनका विनियोग स्थायी संपत्तियों में करने के स्थान पर अन्यत्र करना चाहिए।


ख. स्थायी संपत्तियों में विनियोग को प्रभावित करने वाला दूसरा तत्व है व्यवसाय की प्रकृति। व्यापारिक एवं वित्तीय कंपनियों के लिए स्थायी संपत्तियों में विनियोग के विकल्प कम ही होते है। निर्माणी स्थायी में विनियोग अधिक करती है। इसी प्रकार जनोपयोगी उद्योगों में भी स्थायी संपत्तियों में विनियोग लाभप्रद हो सकता है।


ग. उत्पाद तकनीक भी स्थायी संपत्तियों में विनियोग को प्रभावित कर सकती है। बड़े पैमाने पर उत्पादन करने वाले उद्योगों में अधिक मूल्य वाले प्लांट आदि लगाए जाते है, जो स्थायी संपत्तियों में विनियोग के अनुपात को बढ़ा देते हैं। इसी प्रकार नीवनतम उत्पाद तकनीक वाले उद्योगों में भी अधिकतम विनियोग स्थायी संपत्तियों में स्वाभाविक होता है।


घ. यदि स्थायी संपत्तियाँ किराए पर आसानी से प्राप्त हो जाती है तो कोई भी उद्योग उन्हें किराए पर लेना ही पसंद करता है। अतः ऐसी स्थायी संपत्तियों में विनियोग नहीं किया जाता जो आसानी से किराए पर उपलब्ध हो जाते हैं परंतु इसके विपरीत परिस्थितियों में स्थायी संपत्तियों में विनियोग की संभावना बढ़ जाती है।


च. कभी-कभी बड़े उद्योगो के आस-पास सहायक उद्योगों की स्थापना हो जाती है जो कि उसके काम आने वाले अनेक उत्पादों एवं उपकरणें का उप-अनुबंध के माध्यम से उसे उपलब्ध करा देते हैं।

ऐसी स्थिति में उन संपत्तियों में विनियोग नहीं किया जाता जिनका प्रयोग उपअनुबंध के माध्यम से कर लिया जाता है।


छ. यदि कोई उद्योग अपनी आय में वृद्धि करना चाहता है तो वह सदैव ऐसे उपकरणों की स्थापना करता है जिसके द्वारा उत्पादित वस्तुओं की लागत कम से कम और वह बड़े तथा आधुनिक सयंत्रों में पूँजी मात्रा में विनियोजित कर सके।


ज. यदि किसी उद्योग की उत्पादन लागतों में वृद्धि हो जाती है तो ऐसी स्थिति में उसे अपनी लागतें कम करने के लिए कुछ नवीन तकनीकों का सहारा लेना पड़ता है। जिसके लिए उसे निवेश की मात्रा बढ़ानी पड़ती है।


ट. कभी-कभी कुछ ऐसे कारक होते हैं, जो संस्था की प्रतिष्ठा के लिए अनिवार्य हो जाते हैं जैसे संस्था के कार्यालय की भव्यता को बढ़ाने के लिए बड़ी भूमि पर भवन का निर्माण आदि तथा उसकी साज सज्जा पवर भारी निवेश ऐसी स्थिति में कोई भी उद्योग अपनी प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए स्थायी संपत्तियों में भारी निवेश करता है।


न. कभी-कभी कुछ ऐसी वस्तुएं होती है जिसमें विनियोग उद्योग के लिए अपरिहार्य हो जाता है।