समामेलन की रीति के अनुसार कंपनियों के प्रकार - Types of Companies as per Mode of Amalgamation

समामेलन की रीति के अनुसार कंपनियों के प्रकार - Types of Companies as per Mode of Amalgamation


एक कंपनी का समामेलन या हो संसद या विधानमंडल के विशेष अधिनियम द्वारा या कंपनी अधिनियम के अंतर्गत हो सकता है। समामेलन की रीति के अनुसार, कंपनियों के दो प्रकार होते हैं;


i. वैधानिक कंपनी


ii. समामेलित कंपनी


i. वैधानिक कंपनी :- ये वे कंपनियाँ हैं, जिनका समामेलन संसद या राज्य के विधानमंडल द्वारा पारित किये गये एक विशेष अधिनियम के अंतर्गत होता है। ऐसे कंपनियों का निर्माण राष्ट्रीय महत्व के किसी व्यवसाय के लिए किया जाता है। रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया, भारतीय खाद्य निगम, भारतीय जीवन बीमा निगम,

स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया आदि इस प्रकार के कंपनियों के कुछ उदाहरण हैं, ऐसी कंपनियों के अधिकार एवं कार्यक्षेत्र की सीमाएँ उन विशेष अधिनियमों द्वारा निश्चित होती है जिनके अंतर्गत इनका निर्माण होता है। इन कंपनियों की लेखा परीक्षा भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की देख-रेख एवं नियंत्रण में होता है। प्रत्येक वैधानिक कंपनी उस विशेष अधिनियम के उपबंधों से शासित होती है जिसके अधीन उसका निर्माण हुआ हो परन्तु इन पर कंपनी अधिनियम, 2013 के उपबंध भी उस सीमा तक लागू होते हैं जिस तक इन कंपनियोंके लिए बताए गए विशेष अधिनियम उनका विरोध नहीं करते।


ii. समामेलित कंपनी :- ऐसी कंपनी जिसका समामेलन कंपनी अधिनियम के अंतर्गत किया गया हो,

पंजीकृत अथवा समामेलित कंपनी कहलाता है। वैधानिक कंपनियों को छोड़कर भारत में सभी कंपनियों का निर्माण इसी प्रकार हुआ है। इन कंपनियों के उपबंधों का शासन कंपनी अधिनियम, 2013 द्वारा होता है। बैंकिंग, बीमा और बिजली पूर्ति, कंपनियों का समामेलन यद्यपि कंपनी अधिनियम के अंतर्गत होता है तथापि उनके नियमन के लिए अलग से भी विशेष अधिनियम बने हुए हैं, उदाहरणार्थ बैंकिग विनियमन अधिनियम, 1949, बीमा अधिनियम, 1938, बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण अधिनियम, 1999, और बिजली अधिनियम 20031 इन कंपनियों पर कंपनी अधिनियम 2013 के उपबंध केवल उस सीमा तक ही लागु होते हैं, जिस तक इन कंपनियों के लिए बनाये गये विशेष अधिनियम उनका विरोध नहीं करते।