दांडीमार्च और महिलाएँ - dandi march and women

दांडीमार्च और महिलाएँ - dandi march and women


मार्च 1930 में अंग्रेज़ों के नमक क़ानून को तोड़ने अंग्रेज़ों के एकाधिकार को तोड़कर स्वयं नमक का उत्पादन करने के लिए नागरी अवज्ञा आंदलनों के तहत गांधीजी ने अहमदाबाद से दांडी तक की 240 मील की यात्रा शुरू की थी. यही यात्रा दांडी मार्च के नाम से जानी जाती है.


यात्रा शुरू करते समय स्त्रियों को इसमें शामिल नहीं किया गया था. गांधीजी का तर्क था कि “उन्होंने 'नमक कानून' तोड़ने की तुलना में महिलाओं के लिए कहीं ज्यादा बड़ी जिम्मेदारी के कम की व्यवस्था कर रखी है." इसके अलावा उनका यह भी सोचना था कि कहीं ऐसा न हो कि इससे अंग्रेज़ उन्हें औरतों की आड़ में छिपने वाला कायर कहने लगें !


लेकिन कांग्रेस से जुड़ी महिला आंदलनोंकारियों, कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों आदि ने लगातार इसका विरोध किया. भारतीय नारी संघ (डब्ल्यू. आई. ए.) ने गाँधी से दांडी मार्च में महिलाओं को शामिल करने की अपील की, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया. मार्गरेट बहनों ने 'स्त्री-धर्म' में लिखकर गाँधी के इस फैसले का विरोध किया. दादा भाई नौरोजी की पौत्री खुर्शीद नौरोजी ने इस पर एक नाराज़गी भरा पत्र गांधीजी को लिखा कमलादेवी चट्टोपाध्याय ने बार-बार गांधीजी से महिलाओं को इस आंदलनों में शामिल करने का आग्रह किया. बार-बार के आग्रह पर गाँधी ने आखिरकार उनकी बात मान ली.


नमक सत्याग्रह में भारी संख्या में स्त्रियों ने भाग लिया यह आंदलनों इतना व्यापक था कि पूरे देश में जगह-जगह नमक बनाने का काम हुआ. इस काम में स्त्रियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया. अनेकानेक महिलाएँ इस आंदलनों में गिरफ्तार हुई, नमक सत्याग्रह में लगभग अस्सी हजार लोग गिरफ्तार हुए, इनमें लगभग सत्रह हजार महिलाएं थीं. इनमें सामान्य तथा उच्च प्रायः सभी वर्गों की महिलाएँ शामिल थीं. नमक सत्याग्रह में शामिल प्रमुख महिला नेत्रियाँ ये थीं- सरोजिनी नायडू, लाडो रानी जुत्शी, कमला नेहरू, हंसा मेहता, अवन्तिका बाई, गोरपले, सत्यवती, होशिबेन कैंटन, पार्वतीबाई, लीलावती मुंशी, दुर्गावती देशमुख, कमलादेवी चट्टोपाध्याय आदि नमक सत्याग्रह से जुड़ी महिलाओं ने नमक बनाया भी और बेचा भी.




नमक सत्याग्रह में महिलाओं के आंदलनों कौशल का अभूतपूर्व विकास हुआ. वे सफल नेतृत्वकर्त्री के रूप में उभरी इस मामले में पुरुषों को भी इन्होने पीछे छोड़ दिया. स्त्रियों की इस सफलता के पीछे उनका असीमित धैर्य, संघर्षशीलता, कष्ट सहन करने की क्षमता इत्यादि गुण थे.