अन्विति - Anviti
अन्विति लम्बी कविता का वह विधायक तत्त्व है जो बाहरी रूप में विशृंखल और अराजक लगने वाली कविता को भीतर से संगठित करता है। यदि ऐसा नहीं होगा तो समूची लम्बी कविता खण्ड-चित्र हो कर बिखर जाएगी और अपने उद्देश्य में असफल रहेगी। रामदरश मिश्र के शब्दों में "लम्बी कविता अनेक खण्डों की यात्रा है। और ये अनेक खण्ड अपने स्वभाव में एक-दूसरे से विषम होकर भी सन्दर्भ से जुड़े हुए होते हैं इसलिए लम्बी कविता में भाषा, मूड, बिम्ब-विधान, छन्द सभी में अनेक रूपता दिखाई पड़ती है।" यह अनेकरूपता आन्तरिक अन्विति तभी अर्जित कर सकती है, जब उन्हें किसी सर्जनात्मक सूत्र के माध्यम से संगठित किया जाए। ऐसे में असम्बद्ध प्रसंगों और सन्दर्भों में भी एक सम्बद्धता दिखाई देने लगती है और अनेक रूपता में एकरूपता का समावेश हो जाता है। 'राम की शक्ति-पूजा' में निराला में अन्विति का पूर्णतः निर्वाह किया है।
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