भाव और विचार की स्थापना - Establishment of Feelings and Thoughts
भाव और विचार की स्थापना - Establishment of Feelings and Thoughts
मान लीजिये, आपके घर पर मेहमान आया। आपके मन / मस्तिष्क में उसकी आवभगत करने का भाव (Intention / Purport) पैदा हुआ, अब आप विचार (Thought/s) करते हैं कि किस प्रकार इनकी आवभगत की जाए, इसके कार्यान्वयन को लेकर आप कई विकल्पों पर विचार करते हैं और निर्णय तक आते-आते आपके विचार एक सामासिक विचार एक ठोस अवधारणा (Concept) के रूप में स्थापित हो जाते हैं, जिसमें, आतिथ्य- सुख प्राप्ति का प्राधान्य रहता है। अब इस अवधारणा को अमली जामा पहनाने / मूर्त रूप देने की दिशा में आप, माध्यमों / साधनों / ज़रियों (Means / Medium / Media ) अर्थात् किसी रेखा का चुनाव कर जाने के लिए वाहन आदि का प्रबन्ध कर, अन्ततोगत्वा अपने भाव / विचार / अवधारणा को, एक ठोस रूप में अभिव्यक्त /
संचारित कर उसे एक सन्देश / आशय के रूप में स्थापित करते हैं। इस उदाहरण से आपके ध्यान में आ गया होगा कि भाव > विचार > अवधारणा माध्यम > अभिव्यक्ति और सन्देश / आशय स्थापना किस प्रकार आपस में जुड़ कर कार्यान्वित होते हैं. ... । .
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