नव सामाजिक आंदोलनों की विशेषताएं - Characteristics of the Neo Social Movements
नव सामाजिक आंदोलनों की विशेषताएं - Characteristics of the Neo Social Movements
1. नव-सामाजिक आंदोलनों मुख्य अहिंसक व राजनीतिक रूप से गैररेडिकल चरित्र वाले रहे है यह इस अर्थ में रेडिकल चरित्र वाले हैं कि ये भारतीय राजनीतिक व्यवस्था के लोकतांत्रिक चौखटे को नकारते नहीं है।
2. नम आंदोलन नये नहीं है पर वे अपनी विशिष्टताएं रखते है।
3. नव-सामाजिक आंदोलन ज्यादा विविधता एवं परिवर्तनशीलता दशति है लेकिन नैतिकता व न्याय का भाव जगाकर और बंचना के विरुद्ध तथा अपने अस्तित्व एवं अस्मिता के लिए सामाजिक गोलबंदी द्वारा सामाजिक शक्ति को जगाकर व्यक्तिगत गोलबंदी करते है।
4. नव-सामाजिक आंदोलन की शक्ति व महत्ता चक्रीय है और व्यापक राजनैतिक, आर्थिक एवं विचारधारात्मक चक्रों से जुड़ी है। जब आंदोलनों के जन्म देने वाली स्थितियां बदलती है, आंदोलन अदृश्य हो जाते है।
5. नव-सामाजिक आंदोलन के वर्गीय चरित्र को भी समझना महत्वपूर्ण है जो कि पश्चिम में मुख्यतया मध्यम वर्ग, दक्षिण में मजदूर वर्ग एवं पूर्व में दोनों का मिश्रण है।
6. नव- सामाजिक आंदोलन कई तरह है। इनमें से अधिकांशतः राज्य शक्ति की तुलना में ज्यादा स्वायत्तता प्राप्ति की इच्छा रखते हैं और कुछ ऐसे हैं जो यह चाहते है कि राज्य उन्हें सामाजिक आंदोलन की भांति स्वीकार करें।
7. यद्यपि आक्रामक होने की बजाय अधिकांशत: सामाजिक आंदोलन रक्षात्मक व अल्पजीवी है साथ ही ये सामाजिक रूपान्तरण के प्रभावी एजेंट है।
8. नव-सामाजिक आंदोलन एजेंट की भ्रांति प्रस्तुत होते है और वर्तमान पूजीवाद में अलग करने व 'समाजवाद की ओर संक्रमण के पुर्नव्याख्याकार माने जाते है।
9. कुछ सामाजिक आंदोलन की सदस्यता आपस में मिली जुली होती है और वे अन्यों के साथ
गठबंधन भी बनाते है। जबकि कुछ एक दूसरे से गतिरोध एवं संघर्ष भी पैदा करते हैं।
10. नव-सामाजिक आंदोलन अपने उद्देश्य एवं रणनीतियों को खुद तैयार करते हैं जैसे नुक्कड़ नाटक आदि
11. अधिकांश नव-सामाजिक आंदोलनों की धारणा है कि नागरिक समाज धीरे धीरे समाप्त हो रहे हैं। इनका सामाजिक क्षेत्र सिकुड़ता जा रहा है, नागरिकसमाज' की 'सामाजिकता' राज्य की नियंत्रित शक्ति के कारण क्षीण होती जा रही है। राज्य और बाजार नागरिक समाज के सभी आयामों को निर्धारित करने में लगे हुए है। नव-सामाजिक आंदोलन राज्य के बढ़ते नियंत्रण शिंकजे के विरुद्ध समाज व समुदाय की आत्मरक्षा के मुद्दे को उठाते हैं।
12. नव-सामाजिक आंदोलन वर्ग' और वर्ग संघर्ष की अवधारणा के सहारे संघर्षों व विरोधाभासो को
समझने के मार्क्सवादी विचार में मूलभूत फेरबदल करते है। नलवाद विरोध, निःशस्त्रीकरण, पर्यावरणवादी आंदोलन वर्ग संघर्ष नहीं है। ये वर्ग से परे सामूहिक संघर्ष है।
13. नव-सामाजिक आंदोलन राष्ट्रीयता से परे है। ये आंदोलन मानवीय मुझे और मानवीय अस्तित्व से जुड़ी परिस्थितियों विशेषतः भविष्य के एक सुरक्षित अस्तित्व की संभावना के लिए संघर्ष और प्रवास करते है।
14. नव-सामाजिक आंदोलन फैक्ट्री मजदूरों के श्रम संघठन मॉडल और राजनैतिक दलों के राजनैतिक मॉडल को नकारते है। ग्रीन पार्टी आदि के अपवाद को छोड़ दे तो नव-सामाजिक आंदोलन जमीनी राजनीति में, अमीनी गतिविधियों में रूचि लेते हैं। ये छोटे समूह के आंदोलन व स्थानीय मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करते है।
15. नव-सामाजिक आंदोलन की संरचना क्लासिक (शास्त्रीय) आंदोलनों से इस मायने में भिन्न है कि नव-सामाजिक आंदोलन अपनी प्रेरणा, उद्देश्यों, लक्ष्यों व दृष्टिकोण में बहुलता को स्वीकारते है और
इनका सामाजिक आधार बहलता पर आधारित है।
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