परिवार का समाजशास्त्रीय महत्व - Sociological Importance of Family

 परिवार का समाजशास्त्रीय महत्व - Sociological Importance of Family


प्राथमिक समूह में परिवार का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि यह समाज की आधारभूत इकाई है।परिवार से ही समाज का विस्तार हुआ है इस पर ही समाज का जीवित रहना निर्भर करता है। परिवार के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बिसेन्ज एवम बिसेन्ज ने लिखा है कि परिवार एक मौलिक और सार्वभौमिक संस्था है। समाज के प्रमुख इकाई होने के कारण परिवार का महत्व अत्यधिक है। इसके महत्व का पता इसी बात से चलता है कि संसार के सभी मनुष्य किसी न किसी परिवार के सदस्य हैं। एक मनुष्य का संपूर्ण जीवन परिवार में ही व्यतीत होता है। परिवार ही बच्चों की उत्पत्ति के रूप में समाज की निरंतरता को बनाए रखता है, उनका सामाजिकरण करता है ताकि वे समाज के अन्य संगठनों में पूर्ण रूप से भाग ले सकें और अपने स्वयं के परिवारों का निर्माण कर सके परिवार वास्तव में समाज की प्राथमिक और मौलिक इकाई है क्योंकी सर्वप्रथम परिवार में ही बालक जन्म लेता है,

उसका पालन-पोषण होता है जो उसके व्यक्तित्व के निर्माण में बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। समाज की रचना परिवार के संगठन द्वारा ही होती है अर्थात परिवार समाज का विकास प्राथमिक समूह अर्थात परिवार के विकास द्वारा हुआ है।


परिवार समाज का सूक्ष्म स्वरूप है। समाज में जो कुछ होता है, संक्षिप्त रूप से परिवार में पाया जाता है। परिवार के तीन प्रमुख प्राथमिक कार्य है बच्चों का उत्पादन, उनका पालन-पोषण, पारस्परिक सहायता एवं सहानुभूतिाबालक परिवार में ही जन्म लेता और उसका पालन पोषण होता है परिवार में ही बालक में मानवीय गुणों का विकास होता है तथा उसके व्यक्तित्व पर परिवार के वातावरण की छाप लग जाती हैं। परिवार ही व्यक्ति का समाजीकरण करता है परिवार में ही बालक व्यवहार करना सीखता और उसके चरित्र का गठन होता है,

जीवनपयोगी शिक्षा प्राप्त करता है, परिवार में ही बालक को माता- पिता बच्चों के साथ रहने से पारस्परिक संबंधों का ज्ञान होता है। परिवार का आधार भावात्मक है।

परिवार में सदस्यों को अपनी मूल प्रवृत्तियों एवं भावनाओं को पूर्ण करने का अवसर प्राप्त होता है। परिवार की सामाजिक संरचना में केंद्रीय स्थिति हैं। परिवार में सदस्यों को ऐसी शिक्षा मिलती है जो समाज में कार्य करते समय उनके लिए उपयोगी सिद्ध होती है। व्यक्ति परिवार में बहुत से कार्य करता है बहुत कुछ सीखता है अपने अनुभव द्वारा अनेक सामाजिक कार्यों को पूर्ण करने में सफलता भी प्राप्त करता है इसलिए कहना उचित है कि परिवार समाज के प्राथमिक एवं मौलिक इकाई है।