संयुक्त परिवार विघटन व कारण - Joint family disintegration and reasons

संयुक्त परिवार विघटन व कारण - Joint family disintegration and reasons


क्या भारतीय संयुक्त परिवार विघटन की प्रक्रिया में है? संयुक्त परिवार की संरचना और कार्यों में होने वाले परिवर्तनों के आधार पर यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि संयुक्त परिवार में विघटित हो रहे हैं अथवा नहीं, यद्यपि कुछ विद्वानों का विचार है कि परिवार में होने वाले परिवर्तनों को विघटन की प्रक्रिया नहीं कहा जा सकता लेकिन वास्तविकता यह है कि यह परिवर्तन स्पष्ट रूप से संयुक्त परिवारों के विघटन की ओर संकेत करते हैं। संयुक्त परिवार में व्यक्ति की नवीन आवश्यकताओं की पूर्ति ना होने के कारण इसे एक अनुपयोगी संस्था के रूप में देखा जाने लगा है। संयुक्त परिवारों का यह विघटन सदस्यों के परंपरागत कार्यों, पारस्परिक संबंधों, परिवार के अधिकार व्यवस्था, व्यवसाय तथा संपत्ति संबंधित अधिकारों के क्षेत्र में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।


संयुक्त परिवार के विघटन के कारण क्या-क्या हैं इस पर विद्वानों ने भिन्न-भिन्न प्रकार के मत दिए हैं। बाटोमोर का कहना है

कि संयुक्त परिवार का विघटन केवल औद्योगिकरण से संबंधित दशाओं का ही परिणाम नहीं बल्कि आजकल संयुक्त परिवार आर्थिक विकास की आवश्यकताओं को पूरा करने में असफल सिद्ध हो चुके हैं। पणिक्कर का विचार है कि संयुक्त परिवारों के विघटन का आधारभूत कारण इसके द्वारा अपने सदस्यों पर आवश्यकता से अधिक नियंत्रण लगाना और इस प्रकार उनके सामाजिक संबंधों का क्षेत्र अत्यधिक संकुचित बना देना है। के. एम. कापड़िया ने नई न्याय व्यवस्था, शिक्षा के प्रसार तथा परिवर्तित मनोवृतिओं को संयुक्त परिवार के विघटन का प्रमुख कारण माना है। इस प्रकार विभिन्न विद्वानों ने संयुक्त परिवार को विघटित करने वाले जिन प्रमुख कारकों का उल्लेख किया है इन्हें संक्षेप में निम्नांकित प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है:


1. सर्वप्रथम आज संयुक्त परिवारों के आकार में ह्रास हुआ है। यह परिवर्तन इस सीमा तक तो हो गया है कि आज व्यक्ति अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहकर ही अपने परिश्रम का पूर्ण उपयोग करने के पक्ष में होता जा रहा है।


2. व्यक्तिवादिता में वृद्धि होने से सदस्यों में भी द्वितीयक संबंधों का विकास हुआ है। विवाह संबंध तक व्यवसायिकता की भावना से प्रभावित होते जा रहे हैं।


3. संयुक्त परिवारों में अब धर्म, अनुष्ठान और त्योहारों को जीवन का एकमात्र आधार नहीं समझा जाता फलस्वरूप धर्म के प्रति उदासीनता बढ़ी है। इस प्रकार धर्म और अर्थ जैसी पुरुषार्थ तथा यज्ञों की पूर्ति करना परिवार का वास्तविक कार्य नहीं रहा है। शिक्षा के विकास के कारण अब धर्म के रूढ़िवादी भ्रांति से दूर होती जा रही है। इस प्रकार संयुक्त परिवार के सदस्यों की एकता के सूत्र में आज रखने का कोई प्रभाव पर शेष नहीं रह गया है।


4. परंपरागत रूप से परिवार व्यवस्था को बनाए रखने में कर्ता के पूर्ण प्रभुत्व का बहुत बड़ा योगदान था। वर्तमान परिस्थितियों में कर्ता की स्वेच्छाचारिता समाप्त हो गई है क्योंकि परिवार के किसी सदस्य को आर्थिक, समाजिक अथवा धार्मिक क्षेत्रों में कर्ता के आदेश का पालन करना अनिवार्य नहीं रह गया है और न ही परिवार के सदस्य को संपत्ति में से अपना हिस्सा लेने से रोका जा सकता है।


5. संयुक्त परिवारों की संरचना में भी परिवर्तन यह हुआ है। वर्तमान में युवा सदस्यों के अधिकारों में अभूतपूर्व वृद्धि होता जा रहा है। अधिकांश परिवारों में जीविका उपार्जित करने का कार्य युवा सदस्यों के हाथों में आ गया है और उनके फलस्वरूप उनकी परिवारिक स्थिति पहले की तुलना में काफी अच्छे हो गयी है।


6. वर्तमान अधिनियम के कारण संपत्ति अधिकारों में परिवर्तन हो जाने से संयुक्त परिवारों के परंपरागत संस्तरण को बनाए रखना कठिन हो गया है। आज परिवारों के सभी सदस्यों को समान पारिवारिक अधिकार प्राप्त है, चाहे वह विवाहित हो अथवा अविवाहित बूढ़ा हो या युवा स्त्री हो या पुरुष इस स्थिति ने संयुक्त परिवार की परंपरागत संरचना पूर्णतया विघटित कर दिया है।


7. वर्तमान संयुक्त परिवार परंपरागत व्यवसाय को छोड़कर अनेक व्यवसाय द्वारा जीविका उपार्जित करने लगे हैं। इस प्रकार परिवार में सदस्यों की स्थिति का निर्धारण उनकी योग्यता व कुशलता के आधार पर होने लगा है। इन सभी परिवर्तनों ने संयुक्त परिवार की आंतरिक संरचना को बिल्कुल विघटित कर दिया है। इसी के फलस्वरूप समाज का एक बड़ा भाग अब संयुक्त परिवार को एक अनुपयोगी संस्था के रूप में देख रहा है।


उपरोक्त सभी कारकों के अलावा कुछ अन्य कारण भी हैं जिसने संयुक्त परिवार के विघटन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.


1. औद्योगिकरण तथा नगरीकरण


2. जनसंख्या में वृद्धि


3. पाश्चात्य आदर्शों का प्रभाव 


4. संयुक्त परिवारों के कार्यों में कमी


5. द्वितीयक संस्थाओं में वृद्धि


6. परिवहन व संचार में विकास


7. स्त्रियों में शिक्षा का प्रसार


8. संयुक्त परिवारों का विघटित पर्यावरण


9. वर्तमान कानूनों का प्रभाव