वैदिक कालीन शिक्षा प्रणाली या व्यवस्था - Vedic period education system or system

वैदिक कालीन शिक्षा प्रणाली या व्यवस्था - Vedic period education system or system


प्राचीन भारतीय शिक्षा का प्रारंभ वेदों से माना जाता है वेद का अर्थ होता है जानना या ज्ञान प्राप्त करना वेद अर्थात् जिन से ज्ञान प्राप्त किया जाता है। 600 ईसा पूर्व से पहले के कल को वेदिक कल कहते हैं। वेदों में सांसरिक, व्यवहारिक तथा आध्यात्मिक क्षेत्रों में मानव के लिए आवश्यक समस्त ज्ञान संग्रहित है। इनमें आचार विचार तथा जीवन दर्शन के साथ-साथ इतिहास, भूगोल, विज्ञान आदि विषयों का भी वर्णन है। वेद उस समय के विश्व कोष थे। वेद व्यास ने वेदों को चार भागों में विभक्त किया में चार भाग है ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद सबसे पुराना वेद ऋग्वेद है. ऋग्वेद में हिंदुओं के सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन सभ्यता का वर्णन है. सामवेद एक गायन पुस्तिका है, मंत्रो एवं श्लोको को सस्वर दुहाराना ही इसका मुख्य लक्ष्य है।

यजुर्वेद को एक प्रार्थना पुस्तक है इसमें मंत्रों प्रार्थनाओं तथा यन्त्रों की संस्कार विधियों का वर्णन है। इसमें ज्यामिति, पशुओं की शरीर रचना, जीवविज्ञान, खगोल विज्ञान आदि की जानकारी भी है। अथर्ववेद में विभिन्न रोगों के उपचार हेतु काम में आनेवाली जड़ी बूटियों का वर्णन है. इसके साथ साथ इसमें नक्षत्र विज्ञान, गृहविज्ञान अर्थशास्त्र, राजनीतिशास्त्र तथा दर्शनशास्त्र की भी जानकारी मिलती है। वेदो के अतिरिक्त ब्राह्मणों, आरण्यकों तथा उपनिषदों को भी वैदिक साहित्य में सम्मिलित किया है। ब्राह्मण ग्रंथों में वैदिक कर्मकाण्ड का वर्णन है जबकि आरण्यक तथा उपनिषदों में दार्शनिक तथा आध्यात्मिक समस्याओं की चर्चा मिलती है। इस समय की यज्ञशाला आधुनिक काल की प्रयोगशाला के समान होती थी जिसमें ऋषि अपने शिष्यों के साथ विभिन्न प्रकार के प्रायोगिक क्रियाकलाप करते थे। इसी काल में गुरुकुल आधारित शिक्षा प्रणाली का आरंभ हुआ।