सीखने के लिए आकलन - assessment for learning

सीखने के लिए आकलन - assessment for learning


सीखने और व्यवहार में विद्यार्थियों की प्रगति के नियमित आकलन से शिक्षक पहचान सकते हैं कि किन विद्यार्थियों को अधिक सहायता की आवश्यकता है, कौन-से विद्यार्थियों की अतिरिक्त सहायता के बिना अच्छी तरह प्रगति करने की सम्भावना है और कौन-से विद्यार्थियों के सीखने की गति को तेज किए जाने की आवश्यकता है।


एक कारगर आकलन योजना के चार मुख्य उद्देश्य होते हैं-


1. वर्ष के प्रारम्भ में उन विद्यार्थियों की पहचान करना जो संकट में हैं या जिनको कठिनाइयों का अनुभव हो रहा है। इन्हें यदि वर्ष के अन्त तक ठीक ग्रेड-स्तर तक प्रगति करना है तो उनके लिए अतिरिक्त शिक्षण की या गहन प्रयासों की आवश्यकता हो सकती है। साथ ही ऐसे विद्यार्थियों की पहचान भी करना जो निर्दिष्ट मानदण्डों तक पहुँच चुके हैं और जिन्हें चुनौतीपूर्ण कार्य दिए जाने की जरूरत है।


2. वर्ष के दौरान सभी विद्यार्थियों की प्रगति की निगरानी करना ताकि यह पता चलता रहे कि संकटग्रस्त विद्यार्थी महत्त्वपूर्ण कौशलों में पर्याप्त प्रगति कर रहे हैं या नहीं। साथ ही ऐसे विद्यार्थियों की पहचान भी हो जो पीछे छूट रहे हैं या जिनको अतिरिक्त चुनौती दिए जाने की जरूरत है।


3. अलग-अलग विद्यार्थियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए उनके बारे में उपलब्ध जानकारी के आधार पर शैक्षणिक नियोजन करना।


4. इसका मूल्यांकन करना कि प्रदान की गई शिक्षा तथा सुधार के प्रयास वर्ष के अन्त तक सभी विद्यार्थियों को अच्छे ग्रेड स्तर को हासिल करने के लिए पर्याप्त रूप से शक्तिशाली हैं या नहीं।


5. ऊपर बताए गए चारों उद्देश्य चार प्रकार के आकलनों से हासिल किए जा सकते हैं: 


1. छानबीन करना (स्क्रीनिंग), 


2. प्रगति की निगरानी करना 


3. निदानात्मक तथा 


4. परिणामात्मक। 

वे मोटे तौर पर उपरोक्त चारों उद्देश्यों के अनुरूप होते हैं, लेकिन वे सभी कारगर शिक्षण और सुधार के प्रयासों की योजना बनाने में सहायता करने का योगदान दे सकते हैं।


छानबीन करने वाले आकलन- छानबीन करने वाले आकलन व्यापक योग्यता तथा उन महत्त्वपूर्ण कौशलों को शीघ्र तथा दक्षतापूर्वक मापते हैं जो विद्यार्थियों के प्रदर्शन के बारे में पहले से दिखने वाले मजबूत संकेतों के रूप में जाने जाते हैं। सभी विद्यार्थियों के लिए एक प्रारम्भ-रेखा के रूप में किए जाने वाले ये आकलन उन विद्यार्थियों को पहचानने में मदद करते हैं जो या तो ग्रेड-स्तरीय अपेक्षाओं को पूरा नहीं करते या उनको जिनकी योग्यता उन अपेक्षाओं से अधिक है। इनके परिणामों को शिक्षण के लिए एक प्रारम्भ-बिन्दु के रूप में या अतिरिक्त मूल्यांकन की आवश्यकता के सूचक के रूप में उपयोग किया जा सकता है। 


प्रगति की निगरानी करने वाले आकलन- प्रगति की निगरानी करने वाले आकलन भी संक्षिप्त होते हैं. लेकिन ये समय-समय पर यह पता करने के लिए किए जाते हैं कि विद्यार्थी पर्याप्त प्रगति कर रहे हैं या नहीं। प्रगति की निगरानी करने वाले आकलनों के आँकड़े निरन्तरता बनाए रखते हुए निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए एकत्रित, मूल्यांकित तथा उपयोग किए जाना चाहिए किसी विद्यार्थी की प्रगति की दर ज्ञात करना शिक्षण की प्रभावशीलता के बारे में जानकारी प्रदान करना और उसके आधार पर यदि आवश्यक हो तो प्रयास में संशोधन करना अतिरिक्त जानकारी की आवश्यकता को पहचानना मानदण्डों तथा उपलब्धियों के बीच के अन्तरों का विश्लेषण और व्याख्या करना।


निदानात्मक आकलन- हालाँकि निदानात्मक आकलन अपेक्षाकृत लम्बे होते हैं, परन्तु वे तय कौशलों का गहराई से भरोसेमन्द आकलन प्रदान करते हैं। उनका मुख्य प्रयोजन अधिक कारगर शिक्षण तथा सुधार के प्रयास के नियोजन के लिए जानकारी प्रदान करना होता है। निदानात्मक आकलन तब किए जाना चाहिए जब इसकी स्पष्ट आशा हो कि वे किसी बच्चे की अकादमिक या व्यवहार सम्बन्धी जरूरतों के बारे में ऐसी नई या अतिरिक्त जानकारी देंगे जिसका उपयोग अधिक शक्तिशाली शिक्षण या सुधार के प्रयासों की योजना बनाने में सहायता के लिए किया जा सकता है। यदि स्कूल छानबीन करने वाले प्रगति की निगरानी करने वाले और परिणामात्मक आकलनों का क्रियान्वयन विश्वसनीय तथा उचित तरीके से कर रहे हों. तो औपचारिक निदानात्मक उपकरणों का इस्तेमाल करते हुए अतिरिक्त परीक्षण की जरूरत घट जाना चाहिए। चूँकि वे बहुत समय लेने वाले तथा खर्चीले होते हैं. इसलिए अन्य आकलनों की अपेक्षा पूर्ण वे निदानात्मक आकलन बहुत कम बार किए जाना चाहिए। परन्तु निदानात्मक उपकरणों से निकाली गई उप-परीक्षाओं का उपयोग उन क्षेत्रों के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए किया जा सकता जिनका मूल्यांकन छानबीन करने, प्रगति की निगरानी करने या परिणामात्मक आकलनों में नहीं होता। स्कूल के नेतृत्व को निरन्तर यह पूछते रहना चाहिए कि औपचारिक निदानात्मक परीक्षाओं के संचालन में लगने वाले समय की तुलना में ऐसी परीक्षाओं से शिक्षकों को प्राप्त होने वाली जानकारी का शिक्षण की योजना बनाने के लिए समुचित मूल्य है या नहीं। परिणामात्मक आकलन- परिणामात्मक आकलन, जो स्कूली वर्ष के अन्त में किए जाते हैं, ज्यादातर महत्त्वपूर्ण परिणामों (उदाहरण के लिए सी.एस.ए.पी) वाली सामूहिक रूप से संचालित की जाने वाली परीक्षाएँ होती हैं। परिणामात्मक आकलनों का उपयोग अक्सर स्कूल, जिला तथा राज्य की रिपोर्टों में उल्लेख करने के प्रयोजनों के लिए किया जाता है। ये परीक्षाएँ महत्त्वपूर्ण होती हैं क्योंकि ये स्कूल के नेतृत्व तथा शिक्षकों को उनके शैक्षणिक कार्यक्रम की व्यापक प्रभावोत्पादकता के बारे में फीडबैक देती हैं। एक कारगर मूल्यांकन योजना के हिस्से के रूप में परिणामात्मक आकलनों को हर वर्ष के अन्त में आयोजित किया जाना चाहिए।